देशभर में कोरोनावायरस के चलते लागू हुए लॉकडाउन में जो शिक्षण संस्थान बंद कराए गए थे उन्हें अभी तक खोलने की अनुमति नहीं दी गई है। इतना ही नहीं मार्च माह में 22 मार्च से जनता कर्फ्यू के बाद से ही शिक्षण संस्थान पर आवागमन पर अंकुश लगा दिया गया था
जिसके चलते छात्रों की परीक्षाएं जोकि फाइनल परीक्षाएं थी अधूरा रह गई थी। जिसे लेकर अब यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में छात्रों को बिना परीक्षा दिए परिणाम घोषित करने के लिए उच्चतर व तकनीकी शिक्षा विभाग ने गाइडलाइन जारी कर साफ बताया कि अगर किसी यूनिवर्सिटी व कॉलेज ने आंतरिक मूल्यांकन में विद्यार्थियों को 75 प्रतिशत से ज्यादा अंक दिए तो उसके पिछले रिकार्ड को देखने के साथ ही जांच कराई जा सकती है।
इस परीक्षा परिणाम के आधार पर किसी को मेडल व मेरिट प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा। इस गाइडलाइन में कोई बिंदू शामिल नहीं किया गया है और किसी बिंदु पर संदेह होता है तो उसके लिए यूनिवर्सिटी के वीसी अपनी कमेटी बनाकर फैसला ले सकते हैं
उच्चतर व तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अंकुर गुप्ता ने परीक्षा परिणाम जारी करने के लिए गाइडलाइन तैयार करने को दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक डॉ. एमएस धनखड़ की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी।
जिसमें कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक डॉ. हुकुम सिंह व डॉ. अंकेश्वर, एमडीयू के परीक्षा नियंत्रक डॉ. बलजीत सिंधु, इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी मीरपुर के परीक्षा नियंत्रक डॉ. सुरेश धनेरवाल, गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी हिसार के परीक्षा नियंत्रक डॉ. यशपाल सिंगला शामिल थे।
इस कमेटी ने गाइडलाइन तैयार करके विभाग को भेजी, जिसमें परीक्षा परिणाम घोषित करने के लिए उदाहरण भी दिए गए है। उन सभी गाइडलाइन को प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी व कालेजों के लिए जारी किया गया है।
किसी की रि-अपीयर है और उसके अप्रैल, मई, जून में परीक्षा होनी थी तो उसका रि-अपीयर का परीक्षा परिणाम भी औसत के आधार पर जारी किया जाएगा। इस तरह ही किसी की कक्षा के साल पूरे होने पर केवल रि-अपीयर की परीक्षा देनी थी तो उसका परिणाम भी औसत के आधार पर जारी होगी। ऐसे ही सेमिनार, ट्रेनिंग, प्रोजेक्ट सभी के अंक यूनिवर्सिटी के विभाग व कालेज अपने अनुसार दे सकेंगे और यूनिवर्सिटी का ग्रेस देने का प्रावधान पहले की तरह लागू होगा।
दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी मुरथल, शिक्षा नियंत्रक ने कहा कि नियंत्रकों की कमेटी ने परिणाम जारी करने के लिए जिस गाइडलाइन को बनाया है, उसमें विद्यार्थी के हित का पूरा ध्यान रखा गया है। इसके साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता भी बनी रहे, उसको भी ध्यान में रखा गया है। इस परीक्षा परिणाम के बाद किसी को इंप्रूमेंट करनी है तो उसे पूरी परीक्षा दोबारा देनी होगी। वह किसी पिछले नियम के आधार चुनिंदा विषय की परीक्षा देकर इंप्रूमेंट नहीं कर सकता है।
अप्रैल, मई, जून 2020 की परीक्षा नहीं कराई जाएगी और 50 प्रतिशत अंक आंतरिक व 50 प्रतिशत मुख्य परीक्षा के आधार पर मिलेंगे। किसी कालेज ने आंतरिक मूल्यांकन में 75 प्रतिशत से ज्यादा अंक दिए तो उसके पिछले पूरे रिकार्ड की जांच कराई जाएगी। प्रथम वर्ष या सेमेस्टर वालों का केवल आंतरिक परीक्षा के आधार पर परिणाम घोषित किया जाएगा केवल उन रि-अपीयर वालों का औसत अंकों के आधार पर परीक्षा परिणाम जारी होगा जो अप्रैल, मई, जून 2020 की परीक्षा देने के लिए पात्र है।
पहले रि-अपीयर का परीक्षा परिणाम जारी होगा और उसको भी शामिल करते हुए मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी होगा। जिस सेमेस्टर की पढ़ाई विद्यार्थी कर रहा होगा, उसका परीक्षाड परिणाम घोषित करते हुए पिछले सभी सेमेस्टर का औसत निकाला जाएगा। प्रोजेक्ट, ट्रेनिंग, सेमिनार आदि के अंक यूनिवर्सिटी में संबंधित विभाग व कालेज देंगे। इस परीक्षा परिणाम के आधार पर किसी को मेडल व मेरिट प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा।
विधि, आर्किटेक्चर, फार्मेसी आदि के परीक्षा परिणाम में यूनिवर्सिटी व कालेज को उनसे संबंधित काउंसिल के नियमों को भी मानना होगा। जिन यूनिवर्सिटी में ग्रेस का प्रावधान है, वह पहले की तरह लागू रहेगा। किसी की कक्षा के साल पूरे हो चुके है और उसकी रि-अपीयर की परीक्षा नहीं हुई तो उसे भी औसत अंक देकर परिणाम जारी होगा। इस गाइडलाइन में कोई बिंदू शामिल नहीं…
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