फरीदाबाद के बीके अस्पताल की मरम्मत पर खर्च हो रहे करोड़ों , फिर भी बारिश आते ही हो रहा जलभराव

शहर में सिर्फ पांच मिनट की बारिश से चौक-चौराहों में जलभराव हो गया। इसके अलावा बीके नागरिक अस्पताल की ओपीडी और इमरजेंसी विभाग में भी बारिश का पानी भर गया। अस्पताल परिसर में पानी भरने से सफाई कर्मचारियों और मरीजों की परेशानी बढ़ गई। जबकि कहने को तो प्रबंधन अस्पताल में मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है।

बीके नागरिक अस्पताल में बारिश होते ही जलभराव की स्थिति देखी जा रही है। कुछ दिनों से बारिश के बाद से शहर का मौसम सुहाना हो गया। इस दौरान बीके नागरिक अस्पताल में जलभराव हो गया।

मरीजों को बिस्तर छोड़ना पड़ा। प्रबंधन ने जलभराव की स्थिति देखी तो ज्यादातर कर्मचारियों को जलनिकासी के लिए लगा दिया गया। मुजेसर से हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास परामर्श के लिए आईं जलवती (55) ओपीडी क्षेत्र में पानी देख एक घंटे तक परिसर में नहीं घुसीं।

जलवती ने बताया कि वह पैरों के टेडे़पन से परेशान हैं। दो दिन से वह चलने-फिरने में बिल्कुल असहाय हो गई हैं। मंगलवार सुबह अपनी 11 वर्षीय पोती विधि के साथ अस्पताल पहुंची। यहां आकर देखा तो अस्पताल में पानी भरा है।

विधि ने किसी तरह दादी को संभाला। दादी-पोती पानी में फिसलने के डर से एक घंटे तक ओपीडी कमरे में घुसने से ही कतराती रहीं। यही हाल गर्भवतियों का रहा। कोई पति के कहने पर हल्के कदम रख ओपीडी में जाने को तैयार हुई तो कई ने डॉक्टर कक्ष तक पहुंचने से ही इनकार कर दिया।

अस्पताल की मरम्मत पर खर्च हो रहे हैं 1.7 करोड़
निदेशालय ने 2020-21 में बीके अस्पताल की मरम्मत के लिए 1.7 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया था। मरम्मत कार्य का जिम्मा सरकार के लोक निर्माण विभाग को दिया गया है। अस्पताल में इस वर्ष अप्रैल से मरम्मत कार्य जारी है। इसके साथ ही अस्पताल का फायर सेफ्टी सिस्टम भी अपग्रेड किया जा रहा है।

आगामी माह तक यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके बावजूद लगातार तीसरी बार अस्पताल परिसर में बारिश के पानी को लूप प्वाइंट मिल गए। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने भी पीडब्ल्यूडी को रिपोर्ट बनाकर सभी ऐसे प्वाइंट पर काम करने के लिए लिखा है, जहां से बरसात का पानी अस्पताल में घुस रहा है।

अस्पताल की हालत देख मरोजों ने दिया बयान

संगीता का कहना है की :इमरजेंसी में सुबह पानी भर गया। करीब तीन से चार घंटे तक कर्मचारी पानी निकालते रहे। इस बीच न तो किसी को शौचालय जाने की अनुमति मिली और न ही बाहर निकलने की। इस कारण परेशानी हुई।

वहीं मोनू का कहना है की :अस्पताल में पानी भरने की घटना पहली बार देखी। कई बार बीके अस्पताल में इलाज कराया है। पानी में फिसलने का डर लगा रहा। कई घंटे की परेशानी के बाद पानी निकाला गया।

Himanshi Kaushik

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