सरकार ने जिस तरीके से लोगों की परेशानियों को समझते हुए इन्हें पब्लिक टॉइलेट की सुविधाएँ दी हैं यह अत्यंत सारानीय है। परंतु इसके आगे लोगों की और इसके साथ साथ सफाई कर्मचारियों की लापरवाही सामने आ रही है। पब्लिक टॉइलट्स को साफ बनाने के लिए नगर निगम ने एक नई स्कीम शुरू की है।
इसमें समाजसेवी संस्थाओं, आरडब्ल्यूए ग्रुप आदि को लेटर लिखकर आग्रह किया गया है कि वह शहर के टॉइलट को मेंटेन करने का बीड़ा उठाएं।
इस पत्र के ऊपर निगम एमओयू भी साइन करेगी। उन्हें उसके ऊपर विज्ञापन लगाने का अधिकार होगा ताकि संस्थाएं इन्हें मेंटेन करने का खर्चा निकाल सकें।
शहर में 200 के करीब पब्लिक टॉइलट प्राइवेट एजेंसियां चला रही हैं। इसके अलावा 100 पब्लिक टॉइलट निगम ने बनाए हैं वो मार्केट व सार्वजनिक जगहों पर ज्यादा हैं।
इनकी साफ-सफाई का ठेका निगम ने एक प्राइवेट कंपनी को दिया हुआ था। उसका काम संतोषजनक न होने के कारण ठेका रद्द कर दिया गया।
ये उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन ने जो टॉइलेट साफ करने के लिए मुहीम चलाई है वह सफल हो सके। इस मुहिम के ज़रिय स्वछता को लेकर एक बहुत बड़ा संकट दूर हो जायेगा।
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