हिंदू धर्म में धनतेरस का बड़ा खास महत्व है। धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की तेरहवी तिथि को मनाया जाता है। इस बार धनतेरस 23 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा। धनतेरस से दिवाली के पर्व की शुरुआत हो जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए और साथ ही भगवान धन्वंतरी की पूजा भी करनी चाहिए।
धनतेरस मनाने के पीछे कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। मान्यताओं के अनुसार जब अमृत के लिए देव और असुरों ने समुद्र मंथन किया तब इस समुंद्र मंथन से भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लिए प्रकट हुए थे उस दिन से इस दिवसस को धनतेरस के नाम से मनाने की प्रथा शुरू हुई।
इस दिन नई चीजें जैसे सोना, चांदी, पीतल खरीदना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन धनिया और झाड़ू खरीदना भी शुभ होता है। और धनतेरस के दिन आप कार, बाइक, साइकिल या कोई गाड़ी भी सकते है। साथ ही इस शुभ दिन आप प्रॉपर्टी भी खरीद सकते है। ये सारी चीज़े खरीदना शुभ माना जाता है।
धनतेरस की शुरुआत 22 अक्टूबर, शनिवार को शाम 06 बजकर 02 मिनट पर होगी और 23 अक्टूबर, रविवार को शाम 06 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। धनतेरस का शुभ मुहूर्त 21 मिनट तक रहेगा। धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त 23 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 44 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष काल का समय 23 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक और वृषभ काल का समय शाम 6 बजकर 58 मिनट से रात 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस पूजन के दौरान “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप करें, इसके बाद “धनवंतरि स्तोत्र” का पाठ करें। आप ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृह स्थिरो ह्रीं ॐ नमः मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।
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