भले ही देश भर में कोरोना वायरस के संक्रमण का दौर चल रहा है लेकिन हरियाणा की राजनीतिक गलियारों में तर्क वितर्क और कटाक्ष टिप्पणियों का सिलसिला जारी है। आपको बता दें कि राज्य और केंद्र सरकार में भी भाजपा सरकार है।
बीजेपी सरकार देश में सत्ता में आने से पहले सबका साथ सबका विकास जैसे नारे को अपना हथियार बनाते हुए आई थी और विकास के राग अलापते हुए अभी तक सत्ता की कुर्सी में बरकरार है।
इसी कड़ी में हरियाणा सरकार ने ऋण समझौता व समझौता ज्ञापन की स्टाम्प डयूटी फीस को दो हजार से घटाकर 100 रूपये करके किसानों व अन्य लोगों को बहुत बड़ी राहत देकर मीडिया में खूब वाहवाही बटोरी है।
लेकिन हरियाणा सरकार की इस रणनीति के पीछे की सच्चाई बताते हुए हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा भाजपा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए मियां में बयान बाजी कर जन हितैषी बनने की प्रक्रिया को नौटंकी करार किया है।
उन्होंने कहा कांग्रेस ने जब अक्टूबर 2014 में सत्ता छोड़ी थी, तब यह स्टाम्प डयूटी फीस मात्र 10 रूपये थी जो वर्तमान खट्टर सरकार ने बढ़ाकर 2 हजार रूपये की थी।
विद्रोही ने कहा कि पहले ऋण समझौता व समझौता ज्ञापन की स्टाम्प डयूटी 10 रूपये से बढ़ाकर 2 हजार की और फिर संघी सरकार उसे अब घटाकर 100 रूपये करके झूठा श्रेय लेने की नौटंकी करके जनता को ठग रही। भाजपा संघी सरकार का उक्त रवैया बताता है
कि वह कितनी ठग सरकार है। सरकार श्रेय लेते समय यह क्यों नही बताती कि कांग्रेस राज में यह स्टाम्प डयूटी मात्र 10 रूपये थी। भाजपा खट्टर सरकार का हर मामले में यही रवैया है कि वे अंगुली कटाकर एक खून बंूद बहाकर शहीद होने की नौटंकी करते है।
विद्रोही ने कहा कि संघीयों का चाल-चरित्र जन्मजात लुटेरा व षडयंत्रकारी है। इंवेट मैनेजमैंट व ढोंग करके संघी सरकार लगातार जनता को बरगालकर ठगते रहते है।
सरकार किसान व आम आदमी के हित में दावे तो बड़े-बड़े करती है, पर उन दावों पर जमीनी धरातल पर अमल नही करती। संघी सरकार कितनी किसान हितैषी है।
यह इसी से पता चलता है कि हरियाणा भाजपा सरकार प्रदेश में विकास के नाम पर किसानों से सस्ती भाव में जमीन हडपती है, पर भूमि अधिग्रहण कानून 2013 अनुसान किसानों को मुआवजा नही देती।
यहां तक संघी सरकार ने किसानों को अभी तक वर्षा व ओलावृष्टि से नष्ट हुई फसल रबी 2019-20 का मुआवजा अभी तक नही दिया है।
विद्रोही ने कहा कि कोविड संकट का बहाना बनाकर संघी सरकार ने सरकारी, अर्ध-सरकारी कर्मचारियों, पैंशनरों का जुलाई 2020 से जुलाई 2021 तक महंगाई भत्ता फ्रीज कर दिया है। लेकिन हरियाणा के मंत्रीयों, विधायकों का वेतन-भत्ता बढ़ाने में संकोच नही किया।
मुख्यमंत्री ने खुद के अपने कार्यालय खर्च में एक पैसे की कटौती नही की। मुख्यमंत्री कार्यालय में पाल रखे संघी हाथियों पर व्यर्थ में करोड़ों रूपये सत्ता दुरूपयोग से संघीयों को दिया जा रहा है, जिस पर कोई रोक नही है।
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