करीब 7 साल पहले आज ही के दिन एक दर्दनाक हादसा हुआ था 16 जुलाई यही थी वो तारीख जिस दिन सारण जिले के मशरक गंडामन स्कूल में विषाक्त मिड डे मील (Mid day meal) बच्चों ने खा लिया था.
7 वर्ष पूर्व धर्मासती गंडामन गांव के सामुदायिक भवन में चल रहे प्राथमिक विद्यालय में बने जहरीले निवाले के कारण बच्चों की तबीयत बिगड़ी और एक साथ 23 बच्चे मौत की गहरी नींद में सो गए.
छोटे-छोटे मासूम बच्चों की मौत का जो भयावह मंजर उस दिन दिखा था वो मध्याह्न भोजन योजना के इतिहास का सबसे काला अध्याय साबित हुआ. देश के इस चर्चित मीड डे मिल कांड की बरसी पर इस जहर कांड में जान गंवाने वाले नवसृजित विद्यालय के 23 मासूम बच्चों को जिला प्रशासन की ओर से गुरुवार को श्रद्धांजलि दी गई.
गंडामन धर्मासती मिड डे मील हादसे में मृत 23 बच्चों की सातवीं बरसी पर नव स्थापित प्राथमिक विद्यालय धर्मासती पर आज सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें कई अधिकारी शामिल हुए और असमय मौत के शिकार हुयें बच्चों की याद मे बने स्मारक पर पुष्प अर्पित किए.
दरअसल 16 जुलाई, 2013 को रसोइया ने एक बच्चे को स्कूल की प्रधानाध्यापिका मीना देवी के घर से सरसों तेल लाने को भेजा. सरसो तेल के डिब्बे के पास ही छिड़काव करने के लिए तैयार कीटनाशक लिक्विड रखा था. बच्चे ने तेल के बदले कीटनाशक का घोल ले जाकर दे दिया जो बिल्कुल सरसों तेल जैसा ही था.
रसोइया जब सोयाबीन तलने लगी तो उसमें से झाग निकलने लगा उसने इसकी शिकायत मीना देवी से की. मीना देवी ने ध्यान नहीं दिया
स्कूल में ही दफन कर दिए गए थे मासूम
उसके बाद जब खाना बनकर तैयार हो गया और बच्चों को परोसा गया तो बच्चों ने खाने का स्वाद खराब होने की शिकायत की. तब मीना देवी ने बच्चों को डांटकर भगा दिया था. खाना खाने के बाद बच्चों को उल्टी और दस्त शुरू हो गयी.
इसके बाद देखते ही देखते 23 बच्चों ने दम तोड़ दिया तो कई बच्चों की हालत खराब हो गई थी. एक रसोइया और 24 मासूम लंबे समय तक चले इलाज के बाद ठीक हुए थे. मृत बच्चों को स्कूल के कैंपस में ही दफन कर दिया गया था जहां उनका स्मारक बनाया गया.
हादसे में अपने इकलौते संतान आशीष को खोने वाले अखिलानंद मिश्र ने मशरक थाने में प्रधानाध्यापिका मीना देवी के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी. मीना को एसआइटी में शामिल महिला थानाध्यक्ष को 23 जुलाई को गिरफ्तार करने में सफलता मिली थी. इसके बाद से ही मीना छपरा जेल में बंद थी. वहीं पिछले 24 जुलाई को एडीजे ने मीना के पति अर्जुन राय को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था.
वर्ष 2013 में हुए बहुचर्चित मिड डे मील हादसे में 29 अगस्त 2016 को छपरा कोर्ट से गंडामन स्कूल की तत्कालीन प्रधानाध्यापिका मीना देवी को 17 साल कारावास की सजा सुनायी गयी. एडीजे- दो विजय आनंद तिवारी ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में एचएम को हादसे में दोषी पाये जाने पर दो अलग-अलग धाराओं में सश्रम कारावास की सजा सुनाई व जुर्माना लगाया. भादवि की धारा 304 के भाग दो के अंतर्गत 10 साल की सश्रम कारावास के अलावा ढाई लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया. 3 जुलाई 2017 को मीना देवी को पटना उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई और मामला अभी भी लंबित है.
16 जुलाई 2013: सारण के मशरक के गंडामन स्कूल में विषाक्त मध्याह्न भोजन से तबीयत बिगड़ी, एक-एक कर 23 बच्चों की मौत.
16 जुलाई 2013: मृत बच्चे शिवा के पिता अखिलानंद मिश्रा ने दर्ज कराई प्राथमिकी.
20 जुलाई 2013: छपरा सीजेएम कोर्ट से स्कूल की प्रधानाध्यापिका मीना देवी व अर्जुन राय पर गिरफ्तारी वारंट जारी.
23 जुलाई 2013: मीना देवी को पुलिस ने गिरफ्तार किया.
09 सितंबर 2013: मीना देवी के पति अर्जुन राय का कोर्ट में सरेंडर.
20 अक्टूबर 2013: सीजेएम कोर्ट में पुलिस ने चार्जशीट सौंपी.
03 सितम्बर 2014: पटना हाई कोर्ट से मीना देवी की जमानत अस्वीकार.
09 जनवरी 2015 : छपरा कोर्ट में आरोप गठन.
07 मई 2016 : छपरा कोर्ट में सफाई साक्ष्य बंद.
29 अगस्त 2016 : छपरा कोर्ट में मीना देवी दोषी करार, पति अर्जुन की रिहाई का आदेश.
3 जुलाई 2017 : पटना उच्च न्यायालय स मीना देवी को मिली जमानत.
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