बैंक में खाता रखना इन दिनों बेहद जरूरी है केंद्र और राज्य सरकार सभी तरह की योजनाओं के लाभ भी अब सीधे बैंक खातों में ही डालते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि बैंक आपका खाता चलाने के एवज में कई तरह के फीस वसूलते हैं? बैंक अपनी हर सेवा के लिए ग्राहकों से शुल्क वसूलते हैं |
सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने से लेकर बैंक अकाउंट को बंद कराने तक के लिए बैंक आपके खाते से चार्ज काट लेते हैं हालाकिं हम आपको ऐसे ही कुछ चार्जेज के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें बैंक आपसे वसूलते तो हैं, लेकिन उनकी जानकारी आमतौर पर ग्राहकों को देते नहीं हैं |
जहां NEFT और RTGS पर कोई चार्ज नहीं वसूला जाता है. लेकिन Immediate Payment Service ट्रांजैक्शन पर अभी भी बैंक चार्ज वसूलते हैं. आमतौर पर इसमें चार्ज 1 रुपये से लेकर 25 रुपये तक रहता है |
RBI के मुताबिक, बैंक एक महीने में ATM से 5 ट्रांजैक्शन तक कोई चार्ज नहीं वसूलते हैं. लेकिन इससे ज्यादा ट्रांजैक्शन होने पर आपसे चार्ज वसूला जा सकता है | 5 ट्रांजैक्शन से अधिक होने पर बैंक प्रति ट्रांजैक्शन 8-20 रुपये लेते हैं यह निर्भर करता है कि किस तरह का ट्रांजैक्शन है
कुछ बैंक ऐसे है जो तय सीमा से ज्यादा कैश डिपॉजिट करने पर चार्ज लगाया जाता है ज्यादातर बैंकों में पहले कुछ ट्रांजैक्शन फ्री होते हैं लेकिन बाद में इसके ट्रांजैक्शन पर भुगतान करना पड़ता है यह 50-150 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन हो सकता है |
इसके अलावा अगर आपका कार्ड खो जाता है उसके बदले में नया कार्ड जारी करने पर भी आपसे 50-500 रुपये चार्ज वसूला जाता है साथ ही ATM भूलने पर नया ATM पिन लेने पर भी चार्ज वसूलते हैं चेक क्लीयरिंग पर भी बैंक 150 रुपये प्रति चेक चार्ज लेते हैं |
बता दे की, अगर आप अपने चेक का स्टेटस जानना चाहते हैं, तो कई निजी बैंक इसके लिए भी आपकी ही जेब से चार्ज वसूलते हैं इस सर्विस के लिए बैंक 25 रुपए तक वसूलते हैं आमतौर पर यह फीस रनिंग चेक का स्टेटस जानने पर नहीं देनी होती है लेकिन यदि आप किसी पुराने चेक का स्टेटस पता करते हैं, तब आपको यह फीस देनी होती है |
सेविंग अकाउंट Savings Account (Non-maintenance of minimum balance) में कुछ मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी होता है अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो बैंक आपसे पेनाल्टी वसूल करता है. हर बैंक अलग अलग पेनाल्टी वसूल करता है जैसे HDFC Bank 300 Rs प्लस टैक्स लेता है |
बैंक किस तरह खुद ही अपनी बैलेंस शीट को खराब करते हैं इसका एक उदाहरण भारतीय स्टेट बैंक की ओर से पतंजलि कंपनी को दिए गए कर्ज से समझा जा सकता है। बैंक ने एक ऐसी कंपनी को खरीदने के लिए कर्ज दिया है जो पहले से ही घाटे में जा रही है और जिसके भविष्य में लाभ में जाने की कोई संभावना नहीं है |
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक शेयरधारक को प्रतिक्रिया देते हुए अनायास ही अपने घाटे के सौदे को उजागर कर दिया। इसका ताजा उदाहरण है रुचि सोया उद्योग, जिसके शेयर नीचे गिरते जा रहे हैं, फिर भी बैंक को वह निवेश के लिए सही लगती है। ऐसे मामलों के लिए यह एक प्रमुख उदाहरण है।
जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में एसबीआई ने रुचि सोया इंडस्ट्रीज के खाते में की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के कॉलम में 746 करोड़ रुपये की राशि लिखी थी और कंपनी से एक भी रुपया नहीं वसूला था।
दिवाला और दिवालियापन संहिता (इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, आईबीसी) के तहत मंजूर की गई योजना में कहा गया था कि एसबीआई अपने 1,816 करोड़ रुपये के वसूली के मूल दावे के बजाय 883 करोड़ रुपये वसूलेगा। इसके बावजूद बैंक ने बाबा रामदेव से जुड़ी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को रुचि सोया के अधिग्रहण में मदद करने के लिए 1,200 करोड़ रुपये का नया कर्ज दिया है।
Written by- Prashant K Sonni
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