कोरोना काल मे एक महकमा ऐसा है जिसने तनदेही से अपनी ड्यूटी निभा कर खुद को कोरोना योद्धा की लिस्ट में शामिल किया ,,,जी हाँ हम बात कर रहे है फरीदाबाद के कर्मयोद्धा सफाईकर्मीओ की जो अपनी जान पर खेल कर अपनी डयूटी को अंजाम दे रहे हैं
लेकिन कभी सोचा हैं जो कर्मचारी काम करता है और उस काम के लिए दी जाने वाली राशि ना मिले तो उस व्यक्ति पर क्या गुजरेगी ।
पूरे फरीदाबाद को साफ सुथरा रखने की जिम्मेदारी इन सफाई कर्मचारियों की होती है, लेकिन इस समय यह लोग एक और काम भी कर रहे है जो कि किसी भी कोरोनावायरस संक्रमित की मौत होने पर श्मशान घाट में शवों का दाह संस्कार करते हैं या तो कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक करने का कार्य भी कर रहे है
यह महकमा औलाद बनकर कर्तव्य निभा रहा है मगर अपने ही घर में अपने करीबियों से दूर रहता है जिनके साथ जीवन जिया उन्हीं माता-पिता से दूरी बना कर रहता है ताकि उसके अपने करीबी सुरक्षित रह सकें
ड्यूटी के बाद शाम को घर जाने से पहले मोबाइल फोन पर पत्नी को कह देते हैं कि पानी गर्म करके रखना हमें कपड़े धोने हैं कि नहाना है नहाते ही सीधे छत पर चले जाते हैं वहीं खाने की थाली आती है
यह हकीकत है उन कोरोना योद्धा की जो बतौर सफाई कर्मी तैनात है जिले में 20 सफाई कर्मियों को दाह संस्कार की सेवा में लगाया गया है । प्रत्येक संस्कार कराने पर 10 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि देने की बात कही गई थी
मगर तीन महीने से अधिक समय बिताने के बाद भी अब तक किसी भी सफाईकर्मी को कोई प्रोत्साहन राशि नही मिली हैंएक संस्कार करने में चार कर्मचारी पीपीई किट पहनकर शव को कंधे पर उठाते हैं साथ मे एक सहयोगी होता हैं
कभी कभी श्मशान घाट में स्वजन सफाई कर्मियों से कहते हैं कि उन्हें मृतक का चेहरा दिखाया जाए स्वास्थ्य अधिकारी के आदेश के अनुसार कोरोना से हुई मौत के मामले में मृतक का चेहरा नहीं दिखाया जाएगा सफाई कर्मचारी जब मना करते हैं
किसी स्वजन को मृतक का चेहरा नहीं दिखा सकते तो कई बार स्वजन आदि रूप से उलझने लगते हैं निगम की ओर से श्मशान घाट में पुलिस को बुलाना पड़ता हैसभी सफाई कर्मचारी अपनी जान पर खेल कर इस समय अपनी ड्यूटी निभा रहे है
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