जिले में लगातार भगोड़े अपराधियों की संख्या बढ़ती जा रही है। साथ ही जिन को पकड़कर वापस जेल भेजने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत भी करनी पड़ रही है। यही वजह है कि फरीदाबाद के पुलिस के साथ-साथ क्राइम ब्रांच की टीमें भी अब भगोड़े अपराधियों को पकड़ने में जुट गई हैं। फरीदाबाद के डीजीपी द्वारा पुलिस को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि जमानत पर बाहर आए जो अपराधी वापस जेल नहीं गए हैं, उन्हें पकड़कर वापस जेल भेजा जाए। इसी कड़ी में पुलिस और फरीदाबाद क्राइम ब्रांच की टीम में ऐसे भगोड़े अपराधियों को पकड़ने में एकजुट लगे हैं।
अभी तो प्रदेश के विभिन्न अदालतों में अनगिनत अपराधियों की जमानत करवा चुके हैं। साथ ही जिस में हत्या, लूट, चोरी, दुष्कर्म और डकैती जैसे संगीन मामले भी शामिल है। फरीदाबाद क्राइम ब्रांच की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह फर्जी आधार कार्ड और फर्जी जमीन की रजिस्ट्री के माध्यम से आरोपियों को जमानत करवाता था। इनमें दर्जन भर से ज्यादा जमानती शामिल है। फरिदाबाद में फर्जी जमानती के कारण ही जिले में भगोड़ों की संख्या बढ़ती जा रही है।
जानकारी के मुताबिक क्राइम ब्रांच को 22 मार्च को सूचना मिली थी कि फरीदाबाद कोर्ट परिसर में कुछ संदिग्ध व्यक्ति घूम रहे हैं और इस पर क्राइम ब्रांच 65 की टीम ने कोर्ट परिसर में वीरेंद्र सिंह और पवन को गिरफ्तार किया। जब इनसे पूछताछ की गई तो वह क्राइम ब्रांच के भी होश उड़ गए। दोनों आरोपियों ने क्राइम ब्रांच को बताया कि वे फर्जी जमानती का काम करते हैं।
अब क्राइम ब्रांच की टीम सिविल ड्रेस में पहरा देकर फर्जी जमानतीयो पर नजर रख रही है और डीसीपी क्राइम मुकेश मल्होत्रा ने बताया कि किसी भी मुकदमे में नामजद आरोपी को अदालत से जमानत पर छोड़ा जाता है तो उसके किसी जानकार को जमानती बनाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि अगर आरोपी मुकदमे के दौरान कोर्ट में पेश ना हो तो जमानती के द्वारा आरोपी तक पहुंचा जा सके।
फरीदाबाद में भगोड़े अपराधियों की संख्या 4000 से अधिक है जो कि जिले से जमानत पर बाहर आए थे। अब जिन्हें पकड़कर दोबारा अदालत में पेश करने के लिए पुलिस को काफी पसीना बहाना पड़ रहा है क्योंकि जब आरोपी जमानत पर बाहर आता है और वापस कोर्ट में सरेंडर नहीं करता तो पुलिस जब जमानती के दिए गए पते पर पहुंचती है तो पता फर्जी निकलता है इसलिए जिले में भगोड़े की संख्या बढ़ती जा रही है।
जमानत के तौर पर जमानती को अपनी वाहन या प्रॉपर्टी के कागजात अदालत को जमानत के तौर पर रखने पड़ते हैं। ऐसे में अगर आरोपी और जमानती तारीख पर अदालत में पेश ना हो तो जरूरत पड़ने पर पुलिस जमानती को पकड़ सकती है। लेकिन जमानती और जमानत के कागज ही फर्जी होने पर आरोपी किसी भी प्रकार का डर नहीं रहता। वही जानबूझकर अदालत में पेश नहीं होते और वजह है कि कोर्ट के मुकदमे भी लंबे चलते हैं। उन्हें दोबारा पकड़ने के लिए पुलिस को काफी पसीना बहाना पड़ता है। इससे पुलिस काफी समय भी बर्बाद होता है।
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