कोरोना काल में महाकाल के भक्त महादेव के दर्शनों के लिए लालाइत हैं | 19 जुलाई को सावन महीने की शिवरात्रि मनाई जाएगी | वैसे तो हर महीने में शिवरात्रि आती है लेकिन सावन और फाल्गुन के महीने में आने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है | महाकाल के भक्त सावन के पूरे महीने में भगवान शिव की आराधना करते हैं और जब उस माह में शिवरात्रि आती है इस तिथि का महत्व काफी बढ़ जाता है। सावन शिव का महीना है, इसलिए इस महीने पड़ने वाले हर त्योहार शिव पूजा के लिए खास हैं |
सावन के महीने में बदरा तो गरजते ही हैं, साथ ही महादेव के लाखों भक्त हज़ारों किलोमीटर पैदल चल कावड़ यात्रा करके महाशिवरात्रि के दिन महाकाल को गंगाजल चढ़ाते हैं | सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।
आम दिनों के मुकाबले सावन महीने की शिवरात्रि पर जल चढ़ाने से भगवान शिव ज्यादा प्रसन्न होते हैं | इस दिन भक्त व्रत रखते हैं | माना जाता है कि शिवरात्रि व्रत को करने से व्यक्ति के सभी दुखों का नाश होता है |
क्या है महाशिवरात्रि के महत्व – वैसे तो हर दिन ईश्वर का दिन होता है यदि इंसान का दिल साफ है, लेकिन सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के दिन को खास मान्यता मिली हुई है | महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है। ये शिवरात्रि अत्याधिक शुभ मानी जाती है।
उत्तर भारत के प्रसिद्ध शिव मंदिरों, काशी विश्वनाथ व बद्रीनाथ धाम में इस दिन विशेष पूजा पाठ और दर्शन का आयोजन होता है। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
महाकाल जिसपर अपनी कृपा बनाते हैं वे अनंत सुखों से भर जाता है | यदि भक्त सच्चे दिल से ईश्वर को पूजे तो सभी दुआएं पूर्ण हो जाती हैं | इस सावन के महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए शुभ समय 19 जुलाई की सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक का समय शुभफलदायी रहेगा। प्रदोष काल में जलाभिषेक करना काफी शुभ रहता है। ऐसे में 19 जुलाई की शाम के समय 7 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 30 मिनट तक प्रदोष काल में जलाभिषेक किया जा सकता है।
निशिथ काल पूजा – 00:07 से 00:10 (20 जुलाई 2020)
व्रत पारण का समय – 05:36 बजे (20 जुलाई 2020)
चतुर्दशी तिथि आरंभ – 00:41 बजे (19 जुलाई 2020) से
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 00:10 बजे (20 जुलाई 2020) तक
केदारनाथ फिल्म का गीत नमो – नमो महादेव के बारे में खूबी से बता देता है | चंद्रमा महाकाल के ललाट पर विराजमान हैं | इस दिन शिव की आराधना पंचामृत से करें तो अति उत्तम रहेगा। शिव की ही ऐसी पूजा है जिसमे केवल पत्र, पुष्प फल और जल का अर्पण करके पूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है | आपके पास जो भी सामग्री हो उसी को लेकर श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की पूजा करें | ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय ! का जप करते रहें, साथ ही ॐ नमो भगवते रुद्राय, का जप भी कर सकते हैं। ऐसा जपते हुए बेलपत्र पर चन्दन या अष्टगंध से राम-राम लिख कर शिव पर चढ़ाएं।
भोले बाबा सभी की मुरादें पूरी करते हैं | सावन के सोमवार लड़कियां व्रत रख कर बाबा से अच्छे लड़कों की कामना करती हैं | जो पुत्र पाने की इच्छा रखने वाले शिव भक्त हैं वे मंदार पुष्प से, घर में सुख शान्ति चाहने वाले धतूरे के पुष्प अथवा फल से, शत्रुओं पर विजय पाने वाले अथवा मुकदमों में सफलता की इच्छा रखने वाले भक्त भांग से शिव पूजा करें तो सभी तरह की पराजय की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं |
गंगा को अपनी जटाओं में रखने में शिव जी बस श्रद्धा के भूखे होते हैं | महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करने के लिए पहले भगवान शिव के शिवलिंग रूप की पूजा अर्चना करें। इसके बाद शिव परिवार- माता पार्वती, गणेश जी, नौ ग्रह, माता लक्ष्मी, सूर्य देव, अग्नि देव, ब्रह्म देव, पृथ्वी माता की भी वंदना करें | भगवान शिव का अभिषेक गंगाजल से करें और उसके बाद गन्ने का रस, शहद, दही समेत जितने भी तरल पदार्थ हैं उनसे भोले भंडारी का अभिषेक करें। इसके उपरांत शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं | भोलेनाथ के मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें और आरती करें। रुद्राभिषेक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्रोत और ओम नमः शिवाय का जाप करें |
सावन का व्रत रख बाबा को प्रसन्न लाखों युवतियां करती हैं | सावन का महीना खुद को प्रकृति से जोड़ने का महीना होता है | हरा रंग सौभाग्य का रंग माना जाता है। सुहागिन महिलाएं हरी चूड़ियां पहनकर भोलेनाथ को प्रसन्न करती हैं और अपने सुहाग और परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन आने पर हर तरफ हरियाली छा जाती है। जो ना सिर्फ आंखों को खुश करती है बल्कि आपके मन को भी शांति प्रदान करती है।
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