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गुरुग्राम में ठंडे बस्ते में गई पानी लाने की योजना, सीएम ने कहा, जब यमुना पास तो पानी लाने की क्या जरूरत, जानें पूरी खबर।

गुरुग्राम में चंदू बूढेड़ा से नहरी पानी लाकर एनआईटी के लोगों की प्यास बुझाने की योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। गुरुग्राम में सिंचाई विभाग और फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण की ओर से 1041 करोड़ रुपए की लागत से करीब 560 एमएलडी पानी स्मार्ट सिटी फरीदाबाद में पहुंचाने की योजना थी। मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब यमुना नदी का पानी पास है तो दूर से लाने की क्या जरूरत है।

सीएम ने अब यमुना के पानी को ट्रीट कर लोगों की प्यास बुझाने की रणनीति तैयार करने को कहा है। इस पर एमडीएनए टीम बनाकर कार्य शुरू कर दिया है। इस योजना से फरीदाबाद के पश्चिमी हिस्से यानी अरावली एनआईटी बड़खल, एसजीएम नगर, संजय कॉलोनी सेक्टर 55 सहित अन्य क्षेत्रों में पेयजल को पहुंचाया जा सकेगा।

यमुना नदी पर रेनीवेल लगाने के अलावा अन्य उपाय भी तलाशे जाएंगे। इसके बाद इनके लिए कंसल्टेंट की सेवाएं ली जाएगी, जिससे पूरी परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी जा सके।भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार शहर में सबसे ज्यादा पानी पूर्वी हिस्से में है जबकि पश्चिमी हिस्से में पानी का कोई स्रोत नहीं है।

यहां करीब 100 एमएलडी पानी की कमी है। पूर्वी हिस्से में यमुना नदी बहती है। यहां पर 22 रेनीवेल लगे हैं। इसके माध्यम से रोज 220 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। यहां पूर्ति अंतिम छोर पर एनआईटी और बड़खल पहुंचते-पहुंचते कम हो जाती है। इसके लिए हमेशा पानी की किल्लत बनी रहती है। वहीं शहर के विभिन्न जगहों पर लगे 17 अक्टूबर के माध्यम से भी 110 एमएलडी पानी की आपूर्ति हो पाती है। कुल 330 एमएलडी ही शहर के लोगों को पानी मिल रहा है जबकि डिमांड 450 एमएलडी पानी की है।

एमएसडीए के अभियंता विशाल बंसल का कहना है कि यमुना नदी में पानी का स्रोत खोज कर पेयजल की कमी को दूर करने का प्रस्ताव तैयार करने की योजना है। मुख्यमंत्री ने गुरुग्राम से पानी लाने के प्रोजेक्ट को अभी हरी झंडी नहीं दी है।

वर्ष 2031 तक जिले में करीब 1200 एमएलडी पेयजल की जरूरत पड़ेगी। विभाग के प्रयास के बावजूद मात्र 700 एमएलडी ही पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। इसे ध्यान में रखते हुए एफएमडीए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार जिले में भूजल की स्थिति काफी नाजुक है। फरीदाबाद,  बल्लभगढ़, फरीदाबाद अर्बन में 200 फीसदी भूजल का दोहन हो रहा है।

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