बल्लभगढ़: भू लोक पर को भी आता है उसे एक ना एक दिन जाना भी होता है यही विधि का विधान है । हर धर्म में मृतक को पंच तत्वों में मिलाया जाता है ।हिन्दू धर्म की बात करें तो शरीर को अग्नि में समर्पित किया जाता है । अक्सर आपने सुना होगा कि पेड़ कि लकड़ी से चिता जलाई जाती है ।लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे है कि बल्लभगढ़ में जल्द ही गोबर कि लकड़ियों से चिता जलाई जाएगी ।
बल्लभगढ़ के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार अब गोवंश के गोबर से बनी लकड़ी से होगा इससे पेड़ों की कटाई करने की जरूरत नहीं होगी पेड़ों के ना काटने से जहां पर्यावरण संरक्षण होगा वही गोवंश के गोबर का भी सदुपयोग हो सकेगा ।
इस कार्य के लिए गौ सेवा आयोग ने ऊंचा गांव की गौशाला को गोवंश के गोबर से लकड़ी बनाने के लिए एक मशीन दी है जल्द ही इस मशीन पर काम भी शुरू हो जाएगा और गोबर की लकड़ियां तैयार होने लगेंगी।
गोबर कहां पर डाला जाए कई बार यह संकट खड़ा हो जाता है कई बार किसानों को खेतों में खाद डालने के लिए गोबर मुफ्त में दे दिया जाता है गौ सेवा आयोग ने गोवंश के गोबर को उपयोग में लाने के लिए गोबर से गोर गोर लकड़ी बनाने के लिए एक मशीन दी है। बताया जा रहा है कि मशीन से बनाई जाने वाली लकड़ी पर्यावरण के लिए अत्यंत लाभकारी होगी गोवंश की मनाई गई लकड़ी धार्मिक दृष्टि से पवित्र मानी जाएगी और पेड़ों की लकड़ी से बेहतर विकल्प होगा ।
बता दे मशीन और इससे बनने वाली लकड़ी गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक साबित होगी गोबर की बनी लकड़ी को बेचकर जो गौशाला को आए होगी उससे गोवंश के लिए चारा खरीदने में आसानी होगी।
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