एक समय ऐसा था जब स्मार्ट सिटी फरीदाबाद में काफ़ी जलाशय थे। लेकिन समय के साथ यह जलाशय सवरने की बजाए शहर से गायब ही हो गए। बता दें कि जलाशय पानी को इक्कठा करनें और जल संचयन करनें में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
लेकिन अब आलम ये है कि शहर के निगम ने इन जलाशयों की हालात सुधारने के बजाय इन जलाशयों को मिट्टी भरवा कर समतल कर दिया। जिससे इन जलाशयों का अस्तित्व खत्म हो गया। ऐसे में लोगों ने जलाशय की ख़ाली पड़ी जमीन पर कब्ज़ा करके वहा पर अपने मकान बना दिए। अजरोंदा गांव का सामुदायिक भवन इसका जीता जागता उदाहरण है, दरअसल पहले इस भवन की जगह पर जलाशय हुआ करता था।
पक्के भवनों के निर्माण होने की वजह से अब प्रशासन इस जगह को खाली कराने के लिए कुछ भी नहीं कर सकता हैं। शहर में जलाशय खत्म होने की वज़ह से ही बारिश का पानी सड़कों पर भर जाता हैं। क्योंकि पहले ये बारिश का पानी जलाशयो में इकट्ठा हो जाया करता था।
जानकारी के लिए बता दें कि साल 1994 में सरकार के आदेश की वजह से इन जलाश्यो को मिट्टी से भर दिया गया था। उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और भजनलाल मुखमंत्री थे। इसके बाद बहुत सरकार और मुख्यमंत्री आए लेकिन किसी ने भी इन जलाशयों को मुक्त करने की कोई भी सुध नहीं ली।
लेकिन साल 2014 में जब से भाजपा की सरकार आई है, जब से ही अमृत महोत्सव के तहत सीएम मनोहर लाल खट्टर इन जलाशयों को दोबारा से जीवंत करने के प्रयास कर रहे हैं।
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