सनातन काल से ही मानव को हमेशा से यह जिज्ञासा रही है कि ‘पृथ्वी के ऊपर क्या है?’ और ‘क्या बाकी ब्रह्मांड मे भी जीवन है या नही?’। पृथ्वी से सबसे नज़दीक और अंतरिक्ष मे दिखाई देने वाला ग्रह चंद्रमा है और इसलिए प्रारंभ से मनुष्य को चंद्रमा मे रुचि रही है और इस कारण ही 20 वी शताब्दी से बहुत से देशों ने चाँद पर जाने का प्रयास शुरू कर दिया था।
विश्व के सभी शक्तिशाली देशों ने चाँद पर मानव को भेजने का प्रयास शुरू कर दिया था और इस पूरी रेस मे सबसे आगे अमेरिका था।
जुलाई 21, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग चाँद की सतह पर कदम रखने वाले पहले मानव बने, जिसे उन्होंने ” मानव के लिए एक छोटा कदम, मानव जाति के लिए एक विशाल छलांग” के रूप मे वर्णित किया।
जब नील ने अपना पहला कदम चंद्रमा पर रखा तो पूरे 19 मिनट बाद बज़ एल्ड्रिन भी उनके साथ शामिल हुए थे। उन्होंने चंद्रमा पर अमेरिकी ध्वज लगाया और अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के साथ प्रतिष्ठित फ़ोन कॉल प्रसारित की थी।
आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन चंद्रमा की सतह पर थे, जहाँ उन्होंने लगभग 21 घंटे, 31 मिनट एक स्थल पर बिताए, जिसका नाम उन्होंने ट्रांक्विलिटी बेस रखा था।
उस समय नासा ने इसे स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया था कि ” 20 जुलाई, 1969 को, नील आर्मस्ट्रांग ने अपने बाएं पैर को चट्टानी चंद्रमा पर रखा। यह चंद्रमा पर पहला मानव पदचिन्ह था। वो अपने साथ टीवी कैमरा ले गए थे। अधिक लोगो ने टीवी पर किसी भी अन्य शो की तुलना मे इस चंद्रमा को उतरते हुए देखा।”
दोनो अंतरिक्ष यात्रियों ने चंद्रमा पर खूब समय बिताया और चाँद के पत्थर और मिटी अपने साथ वापिस धरती ले जाने के लिए रख लिए थे।
यह दिन अमेरिका मे नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन का चंद्रमा पर पहले कदम की याद मे मनाया जाता है और अमेरिका की एक जीत के रूप मे भी देखा जाता है कि वो किसी व्यक्ति को चाँद पर उतारने वाला पहला देश है। इस दिन अंतरिक्ष उत्साही आमतौर पर अपने खगोल विज्ञान कलबों मे एक साथ मिलते है और 1969 के चंद्रमा की लैंडिंग के बारे मे बात करते है।
मनुष्य को चंद्रमा पर उतरे 51 साल हो चुके हैं। अप्राप्य को पाने के मानव संकल्प का जश्न मनाते हुए दुनिया को अब 51 साल हो गए है।
Written by- Harsh Datt
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