जब व्यक्ति अपने मन में कुछ ठान लेता है तो लाख मुसीबतें आने के बाद भी वह उसे पूरा करके ही छोड़ता है। ऐसी ही है फरीदाबाद के जवा गांव की प्रीति लांबा है। अपने जीवन में लाख कठिनाइयां आने के बाद भी उन्होंने एशियाई खेलो में 3000 मीटर की बाधा दौड़ में कांस्य पदक जीत कर यह साबित कर दिया है कि वह किसी से कम नहीं है।
दरअसल साल 2017 में एक हादसा होने की वजह से उनके पैर में राड डाली गई थी। लेकिन हादसा होने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपना अभ्यास जारी रखा। आज यह उनकी मेहनत ही है, जो वह चीन में जाकर अपने देश के नाम का डंका बजा रही हैं। बता दें कि उनके पिता जगदीश लांबा एक पेट्रोल पंप पर काम करते हैं। उनकी घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होते हुए भी उनके पिता ने उधार लेकर उनको अंतरराष्ट्रीय धावक बनाया है।
जानकारी के लिए बता दें कि साल 2019 में भी वह साउथ एशियन गेम्स में पदक जीत चुकी है, साथ ही वर्ष 2022 में जर्मनी में विश्व रेलवे क्रॉस कंट्री में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता है।
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