Faridabad के सूरजकुंड मेले में हर बार की तरह इस बार भी अलग अलग राज्यो से हस्तशिल्प कलाकार आए हैं और अपनी अनोखी कला से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे है। वैसे इन्ही कलाकारों में से एक है ओडिसा के कलाकार जिनकी कला ने सबका मन मोह लिया है। दरअसल हम बात कर रहे है ओडिसा के पूरी से आए चित्रकार रवींद्र की, जो इस बार मेले में ओडिसा की प्रसिद्ध पटचित्र कला लेकर आए है।
बता दें कि इस चित्र कला को ताड़ के पत्ते और कपड़े के कैनवास पर बनाया जाता है। इस चित्रकला को बनाने में 10-12 दिन का समय लगता है। क्योंकि यह चित्रकला बड़ी बारीकी से की जाती है, इसमें पौराणिक कथाओं और देवी देवताओं के चित्र बनाए जाते है। इसी के साथ बता दें कि उनकी स्टाल पर 100 रुपए से लेकर 4 लाख रुपए तक की पटचित्र है।
अपनी इस कला की और जानकारी देते हुए रविंद्र ने बताया कि,”इस पट्टचित्र कला से कई लोक कथाएं जुड़ी है।वैसे इसका संबंध पुरी के भगवान जगन्नाथ से बताया जाता है, जो श्री कृष्ण के अवतार थे।”
इसी के साथ उन्होंने बताया कि,”यह चित्रकारी कपड़े के कैनवास के अलावा ताड़ के पत्तों पर की जाती है। पहले कपड़े को उबाल कर उसका एक कैनवास तैयार किया जाता है। कैनवास बनाने के लिए कपड़े की कई तह बनाई जाती है और कपड़ों को इमली के बीज से बनाए गए पेस्ट से जोड़ा जाता है। इसके लिए इमली के बीज को 2-3 दिन तक भिगोकर रखा जाता है, जिसके बाद इसे पीसकर पेस्ट बनाया जाता है जो चिपचिपा होता है।”
“इसी पेस्ट का इस्तेमाल कपड़ों की और तहों को चिपकाने के लिए होता है। पर्याप्त मोटाई मिलने तक कपड़ों को आपस में चिपकाया जाता है, जिससे पट्ट तैयार हो जाता है और फिर उस पर प्राकृतिक रंगों से बारीक चित्रकारी की जाती है।”
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