कोरोना वायरस महामारी बढ़ते मामलों के चलते एजुकेशन सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। ऐसे में छात्रों को ऑनलाइन स्टडी करवाई जा रही है।
वहीं दूसरी ओर परीक्षाएं आयोजित करवाना बड़ी चुनौती बन गया है। इसी बीच कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से पंजाब और हरियाणा सरकार ने परीक्षाओं के लेकर बड़ा फैसला किया है।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने फाइनल ईयर के छात्रों को प्रोमोट करने का सुझाव दिया है। कोर्ट ने कहा पंजाब यूनिवर्सिटी से फाइनल ईयर के छात्रों को उनकी पिछले सेमेस्टर/ईयर के परफॉर्मेंस के आधार पर प्रोमोट कर देना चाहिये और कोर्ट ने कहा पंजाब यूनिवर्सिटी से उनको महाराष्ट्र, तमिलनाडु और अन्य राज्यों के फैसले देखने चाहिए कि वे अपने फाइनल ईयर के छात्रों को प्रोमोट कर चुके हैं।
हाईकोर्ट ने दिए ये आदेश
बता दे की, कोर्ट ने कहा कुछ बच्चे लेह और लद्दाख से फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा देने आएंगे जो कि इस हालात में संभव नहीं। इस हालात में पंजाब यूनिवर्सिटी ने बच्चे को प्रोमोट करने चाहिए। अगर यह लागू होता है तो यह पूरे हरियाणा और पंजाब पर लागू होगा और आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सोमवार को आ सकता है |
ऐसे में बच्चों का रिजल्ट रोकना न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि उनके हितों से खिलवाड़ है। कोर्ट ने इस मामले में वीडियो कान्फ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई 23 जुलाई निर्धारित की है। इसके साथ ही बोर्ड प्रशासन को प्रभावित बच्चों का रिजल्ट जारी करने के निर्देश दिए हैं।
प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि बोर्ड प्रशासन गलत तरीकों से निजी स्कूलों पर दबाव बना रहा है। रिजल्ट जारी न होने से बच्चों की मनोस्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द प्रभावित बच्चों का रिजल्ट जारी किया जाए ताकि बच्चे अगली कक्षा में प्रवेश ले सकें।
ये है UGC रिवाइज्ड गाइडलाइंस
-विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने रिवाइज्ड गाइडलाइंस में सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स के लिए सितंबर तक एग्जाम कराने के लिए कहा है।
-फाइनल ईयर के एग्जाम ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों तरीकों से किए जा सकते हैं। बैक-लॉग वाले छात्रों को एग्जाम देना जरुरी है।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई
देश के 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की दर्जनों यूनिवर्सिटी के 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अगले दो दिनों में 31 छात्रों की याचिका पर सुनवाई करेगा।
छात्रों की अपील थी कि स्नातक और परास्नातक कोर्स के अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा अनिवार्य रूप से लेने के यूजीसी के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। इसके अलावा छात्रों ने ये मांग भी की थी कि सीबीएसई की तर्ज पर उनके पिछले पांच सेमेस्टर के प्रदर्शन और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक प्रदान करते हुए उन्हें 31 जुलाई तक डिग्री दे दी जाए।
Written by- Prashant K Sonni
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