
हरियाणा में गन्नौर के पांची गुजरान गांव में स्थित दिल्ली इंटरनेशनल कार्गो टर्मिनल प्राइवेट लिमिटेड (DICT) में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत के पहले वाणिज्यिक इलेक्ट्रिक ट्रक बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन किया। इस मौके पर क्षेत्रीय भाजपा नेता और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, “अब वह दिन दूर नहीं जब भारत हवाई ईंधन निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी होगा। लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने के लिए सरकार वैकल्पिक ईंधन की दिशा में तेजी से काम कर रही है।”
उन्होंने यह भी बताया कि देश में 50 लाख टन पराली को बायोफ्यूल में बदला जा रहा है। पराली से ईंधन और सड़क निर्माण के प्रयोगों का उदाहरण देते हुए गडकरी ने कहा कि नागपुर और जबलपुर में पराली से सड़कें बनाई जा रही हैं। “मैं खुद किसान हूं और अब किसान ही देश का ईंधनदाता बनेगा,” उन्होंने कहा।
गडकरी ने किसानों से पराली जलाने की बजाय उसका उपयोग इंधन निर्माण में करने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि मक्का से इथेनॉल बनाने की प्रक्रिया से न केवल पर्यावरण को लाभ हो रहा है, बल्कि उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हुई है। “दोनों राज्यों के किसानों को 45 हजार करोड़ रुपये की आमदनी इसी पहल से हुई है,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने यह भी बताया कि वे खुद एक बायो-इथेनॉल से चलने वाले वाहन से कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे हैं, और अब कृषि उपकरणों के लिए भी फ्लेक्सी इंजन विकसित किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बैटरियों की कीमत में 50 से 60 प्रतिशत तक की गिरावट आई है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना अब अधिक व्यावहारिक हो गया है।
प्रोजेक्ट की खास बातें:
350 से अधिक डीज़ल चालित वाणिज्यिक वाहन DICT परिसर में कार्यरत हैं।
पहले चरण में 25 इलेक्ट्रिक ट्रक आ चुके हैं, कुल 75 ट्रक शामिल किए जाएंगे।
प्रोजेक्ट में “एनर्जी इन मोशन” और “रविंद्रा एनर्जी लिमिटेड” की 50-50% हिस्सेदारी है।
इसमें साझेदार है चीन की जानी-मानी कंपनी Beiqi FOTON Motor, जिसने 2024 में 6 लाख से अधिक व्यवसायिक वाहन बेचे थे।
इलेक्ट्रिक ट्रकों की क्षमता डीज़ल वाहनों के समकक्ष है, लेकिन संचालन लागत बेहद कम है। साथ ही ये NGT टैक्स से मुक्त हैं और दिल्ली-एनसीआर जैसे प्रदूषण-नियंत्रित क्षेत्रों में इनका प्रवेश सुगम होगा। इस पहल को भारत में स्वच्छ ऊर्जा और हरित परिवहन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
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