
हरियाणा में अब किसी भी स्थान पर पेड़ काटने से पहले वन विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश के बाद यह निर्णय लिया गया है, जिसे प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को मजबूती देना और अनियंत्रित पेड़ कटाई पर लगाम लगाना है।
अब तक राज्य में सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में अनुमति जरूरी थी, जहां पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट (धारा-4) लागू था। बाकी हिस्सों में बिना किसी निगरानी के पेड़ काटे जा रहे थे। इसी अव्यवस्था के खिलाफ रोहतक निवासी सुखबीर सिंह ने NGT में याचिका दायर की थी। 9 सितंबर को ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी करते हुए पूरे हरियाणा में पेड़ काटने से पहले अनिवार्य अनुमति का प्रावधान लागू करने को कहा।
वन विभाग ने आदेश मिलते ही कार्रवाई शुरू कर दी है। शुरुआती चरण में यह नियम गुरुग्राम मंडल के जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ में प्रभावी कर दिया गया है। जल्द ही इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।
हालांकि, किसानों को राहत देते हुए कुछ पेड़ों की कटाई पर छूट दी गई है। सफेदा, पॉपलर, उल्लू नीम, बकायन, बांस, अमरूद और शहतूत जैसे सात प्रजातियों को कृषि वानिकी के तहत अनुमति से बाहर रखा गया है। इनकी कटाई पूर्व की भांति बिना स्वीकृति संभव होगी।
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