
दिवाली से पहले ही NCR की हवा में जहर घुलना शुरू हो गया है। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का पहला चरण लागू कर दिया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर बेहद सीमित नजर आ रहा है।
बुधवार को बल्लभगढ़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 220 तक पहुंच गया, जो “खराब” श्रेणी में आता है। फरीदाबाद का औसत AQI 112 दर्ज किया गया, जबकि नोएडा की हवा पूरे देश में सबसे अधिक प्रदूषित रही—यहां AQI 318 तक पहुंच गया।
फरीदाबाद में GRAP के दिशा-निर्देशों के बावजूद, शहर के कई हिस्सों में खुलेआम नियमों की अनदेखी हो रही है। रेस्तरां, होटल और सड़क किनारे लगे ढाबों पर अब भी कोयले और लकड़ी की भट्टियों का उपयोग जारी है। ग्रेप के पहले चरण के तहत इन पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है, मगर एनआईटी-5, बल्लभगढ़ और ग्रेटर फरीदाबाद में कई स्थानों पर इन भट्ठियों का खुलेआम प्रयोग किया जा रहा है।
इसके अलावा ग्रेटर फरीदाबाद के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण कार्यों से भी धूल-मिट्टी हवा में उड़ रही है। बल्लभगढ़ के कई हिस्सों में रात के समय खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है, जिससे प्रदूषण और भी बढ़ रहा है।
फरीदाबाद में पिछले एक हफ्ते से AQI लगातार 100 के पार बना हुआ है। बुधवार को एनआईटी क्षेत्र में 133, जबकि सेक्टर-11 और सेक्टर-30 में AQI 100 रिकॉर्ड किया गया। सेक्टर-16A में लगे एयर क्वालिटी मॉनिटर की तकनीकी खराबी के चलते वहां का डेटा उपलब्ध नहीं हो पाया।
स्थानीय प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग की लापरवाही के कारण GRAP की गाइडलाइंस केवल कागजों तक ही सीमित नजर आ रही हैं, जबकि शहर की हवा लगातार सांस लेने लायक कम होती जा रही है।
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