
फरीदाबाद के प्रेस कॉलोनी में स्थित राजकीय उच्च विद्यालय की हालत आज भी बदहाल है। आधुनिक शिक्षा की बातों के बीच यहां 600 से अधिक छात्र आज भी टिन शेड के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यह स्कूल किराये की जमीन पर संचालित हो रहा है, जहां सिर्फ पांच टिन शेड वाले कमरे ही छात्रों की पूरी पढ़ाई की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं।
विद्यालय दो शिफ्टों में संचालित होता है। सुबह की शिफ्ट में कक्षा 6 से 10 तक के लगभग 350 छात्र आते हैं, जबकि दोपहर की शिफ्ट में प्राथमिक कक्षाओं के 250 से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं। कक्षा 6 से 9 तक की प्रत्येक कक्षा के दो अनुभाग बनाए गए हैं, जिससे पहले से सीमित जगह में और अधिक दबाव बढ़ गया है।
बारिश हो या चिलचिलाती धूप, टिन शेड की ये कक्षाएं बच्चों के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं। शोर, गर्मी और असुविधा के बीच पढ़ाई का स्तर प्रभावित हो रहा है। विद्यालय के बाहर कूड़े का अंबार लगा हुआ है, जिससे न केवल दुर्गंध फैल रही है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए खतरा भी बना हुआ है। स्वच्छता को लेकर अभिभावकों और शिक्षकों में लगातार चिंता बनी हुई है।
बात अगर स्टाफ की करें, तो दस्तावेज़ों में शिक्षक पर्याप्त बताए गए हैं, लेकिन वास्तविकता में कई अध्यापकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगा दिया गया है। इससे शिक्षण व्यवस्था पर सीधा असर पड़ रहा है।
इस स्थिति ने सरकारी स्कूलों की आधारभूत संरचना और प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बच्चों का भविष्य आखिर कब तक अस्थायी ढांचों में दम तोड़ता रहेगा?
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