फरीदाबाद जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस), इसरो देहरादून ने अपने नेटवर्क संस्थान के रूप में ऑनलाइन आउटरीच कार्यक्रमों के लिए नोडल सेंटर बनाया है।
अब विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को आईआईआरएस इसरो के ऑनलाइन आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को जानने और सीखने का अवसर मिलेगा।
विश्वविद्यालय ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा संबंधित अनुप्रयोगों के क्षेत्र में अकादमिक और उपयोगकर्ता दोनों पक्षों को मजबूती बनाने के उद्देश्य से ऑनलाइन आउटरीच कार्यक्रमों के लिए आईआईआरएस इसरो के साथ एक समझौता किया है।
विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को मिला अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को जानने और सीखने का अवसर
विश्वविद्यालय द्वारा कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग से डॉ. नीलम दूहन को इस नोडल सेंटर का कोर्डिनेटर नियुक्त किया गया है, जोकि विश्वविद्यालय में डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों की नोडल अधिकारी के रूप में पहले से कार्य कर रही हैं।
इस आउटरीच कार्यक्रम के तहत, विश्वविद्यालय ने हाल ही में आईआईआरएस द्वारा संचालित ‘सैटेलाइट फोटोग्राममेट्री और इसके अनुप्रयोग’ और ‘पारिस्थितिक अध्ययन में भू-विज्ञान के अनुप्रयोग’ पर दो सप्ताह के पाठ्यक्रमों में हिस्सा लिया था। इन पाठ्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालय तथा विभिन्न राज्यों के अन्य संस्थानों से 55 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण किया था तथा पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा किया।
ऑनलाइन कोर्स के बाद प्रमाण पत्र भी देगा आईआईआरएस इसरो, नये कोर्स 27 जुलाई से होंगे शुरू
कोरोना महामारी की मौजूदा स्थिति के बावजूद अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कौशल विकास कार्यक्रमों में विद्यार्थियों की भागीदारी की सराहना करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि आईआईआरएस इसरो के सभी पाठ्यक्रम उच्च ग्रेड के हैं, जोकि आईआईआरएस इसरो के वैज्ञानिकों और कुशल शिक्षकों द्वारा पढ़ाए जा रहा हैं।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़े पाठ्यक्रमों तथा कौशल की रोजगाार के विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी मांग है। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन मोड में इन पाठ्यक्रमों से जुड़ने के लिए अब विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों के विद्यार्थी और शिक्षक जे.सी. बोस विश्वविद्यालय को अपना नोडल केंद्र चुन सकते है और पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकरण करवाकर इसका लाभ उठा सकते हैं।
आईआईआरएस नोडल सेंटर की कोर्डिनेटर डॉ. नीलम दूहन ने बताया कि आईआईआरएस द्वारा ई-लर्निंग मोड के माध्यम से चलाए जा रहे आउटरीच सर्टिफिकेशन प्रोग्राम विद्यार्थियों के कौशल विकास की दृष्टि से काफी फायदेमंद हैं जोकि निःशुल्क भी है।
इन पाठ्यक्रमों के लिए न्यूनतम 70 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। पाठ्यक्रम पूरा होने के उपरांत आईआईआरएस इसरो एक परीक्षा का आयोजन करता है, जिसमें न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागी को आईआईआरएस इसरो द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, भौतिकी और पर्यावरण विज्ञान के विद्यार्थी सक्रिय रूप से इन पाठ्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि मास्टर प्लान फॉर्मूलेशन, कृषि जल प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोग, रिमोट सेंसिंग भौगोलिक सूचना प्रणाली पर बुनियादी जानकारी और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम पर क्रमशः 27 जुलाई, 3 अगस्त तथा 17 अगस्त से शुरू हो रहे आईआईआरएस इसरो के नये पाठ््यक्रमों के लिए विश्वविद्यालय के नोडल सेंटर में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने अपना पंजीकरण करवाया हैं।
उल्लेखनीय है कि आईआईआरएस इसरो द्वारा रोजगार की सर्वाधिक मांग वाले क्षेेत्र जैसे जियोस्पेशल प्रौद्योगिकी, रिमोट सेंसिंग, भौगोलिक सूचना प्रणाली, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम और संबंधित भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी पर नियमित रूप से ऑनलाइन पाठ्यक्रम और मासिक वेबिनार आयोजित किये जाते है। इस कार्यक्रम के तहत अध्ययन की दो प्रणालियां विकसित की गई है,।
जिसमें पहला ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म जोकि लाइव और इंटरएक्टिव मोड है और इसे एजुसैट के नाम से जाना जाता है और दूसरी प्रणाली ई-लर्निंग मोड है।
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