मैं डॉ. संगीता वमऻ मेरा जन्म 8 अक्टूबर 1978 को हरियाणा राज्य के रोहतक शहर में हुआ! मैंने अपनी शिक्षा ‘महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय’ रोहतक से की तथा ‘ डॉक्टरेट’ की उपाधि ‘चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय’ मेरठ से की तथा मैंने अपना शोध विषय नारियों के प्रति हो रहें अत्याचारों पर चुना।
मैं एक साहित्यक परिवार से हूँ तथा इस परिवेश में ही मेरा विकास हुआ! मेरे पिताजी और मेरे बडे़ भाई भी हिन्दी साहित्य से ही सम्बन्ध रखते हैं और वो भी प्रसिद्ध साहित्यकार हैं! मुझे साहित्यकार बनने की प्रेरणा पारिवारिक वातावरण से मिली है घर में हमेशा प्रसिद्ध साहित्यकारों का आगमन रहा!
जिसके कारण मेरे विचारों पर साहित्य के प्रति रूचि बढती चली गई!अपनी कविता ‘ हिय के झरोखे में’ के माध्यम से मैंने सभी अभिभावकों को समझाने का प्रयास किया कि हम मासूम बच्चों पर ज्यादा अपनी मनमानी न थोपे ज्यादा जोर जबरदस्ती कही उनके अन्त का कारण न बन जाऐ उन्हें एक स्वछन्द पंछी की तरह विचरण करने दें ताकि वह अपने प्रयास से अपनी ऊचांई तक खुदबखुद पहुँच सके!
आज पूरा विश्व ‘कोरोना महामारी’ से घिरा हुआ है तथा इसका अभी तक कोई समाधान नजर नहीं आ रहा इस महामारी की चपेट में आए काफी लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं, काफी लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं, काफी लोगों के घर बाद हो चुके हैं इस पर आधारित मेरी यह कविता शायद आप सभी को पसंद आऐगी मैं सभी से यही आशा करती हूँ!
धन्यवाद
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