कृष्ण जो करते हैं उसके पीछे कोई न कोई रहस्य या कारण ज़रूर होता है। ये बात तो आपको ज़रूर पता होगा कि महाभारत के युद्ध के दौरान ही कृष्ण ने ही अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। लेकिन आज भी महाभारत के युद्ध से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग को ही जानकारी है। कुछ ऐसे ही रहस्य से आज हम पर्दा उठाने जा रहे हैं। क्या आपने कभी ये बात सोचा है कि महाभारत का युद्ध आखिर कुरुक्षेत्र में ही क्यों हुआ था, किसी और जगह क्यों नहीं?
पहचान फरीदाबाद अपने दर्शकों और पाठकों तक सभी जानकारियां देने का प्रयास करता है। महाभारत का युद्ध संसार का सबसे भीषण युद्ध था। कौरवों और पांडवों के बीच हुए इस युद्ध में दोनों तरफ से करोड़ों योद्धा मारे गए थे। महाभारत के युद्ध से पहले ना ही ऐसा युद्ध कभी हुआ था और ना ही युद्ध होने की संभावना है।
जिसका साथ कृष्ण के साथ हो उसको क्या परवाह दुनिया की। कुरुक्षेत्र की धरती को महाभारत के युद्ध के लिए भगवान कृष्ण ने ही चुना था, लेकिन उन्होंने कुरुक्षेत्र को ही महाभारत युद्ध के लिए क्यों चुना, इसके पीछे एक गहरा रहस्य छुपा है। शास्त्रों के मुताबिक, महाभारत का युद्ध जब तय हो गया तो उसके लिये जमीन तलाश की जाने लगी। भगवान श्रीकृष्ण इस युद्ध के जरिए धरती पर बढ़ते पाप को मिटाना चाहते थे और धर्म की स्थापना करना चाहते थे।
पाप और धर्म में हम अक्सर देखा करते हैं आज कल पाप ही जीत ता है। मान्यताओं के मुताबिक, महाभारत के युद्ध से पहले कृष्ण को इस बात का डर था कि भाई-भाइयों के, गुरु-शिष्यों के और सगे-संबंधियों को युद्ध में मरते देख कहीं कौरव और पांडव आपस में संधि ना कर लें। इस वजह से उन्होंने युद्ध के लिए ऐसी भूमि चुनने का फैसला किया, जहां क्रोध और द्वेष पर्याप्त मात्रा में हो। कृष्ण ने इस काम के लिए अपने दूतों को सभी दिशाओं में भेजा और उन्हें वहां की घटनाओं का जायजा लेने को कहा।
कृष्ण वे हैं जो सबके दिलों का जानता हैं। दूतों ने सभी घटनाओं का जायजा लिया और एक-एक कर भगवान को इसके बारे में बताया। उसमें से एक दूत ने एक घटना के बारे में बताया कि कुरुक्षेत्र में एक बड़े भाई ने अपने छोटे भाई को खेत की मेंड़ टूटने पर बहते हुए वर्षा के पानी को रोकने के लिए कहा, लेकिन उसने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया। इस पर बड़ा भाई गुस्से से आग बबूला हो गया और उसने छोटे भाई को छुरे से गोद कर मार डाला और उसकी लाश को घसीटता हुआ उस मेंड़ के पास ले गया और जहां से पानी निकल रहा था वहां उसकी लाश को पानी रोकने के लिए लगा दिया।
भगवान के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता और जब कृष्ण ने इस सच्ची घटना के बारे में सुना, तो उन्होंने तय किया कि यह भूमि भाई-भाई, गुरु-शिष्य और सगे-संबंधियों के युद्ध के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। कुरुक्षेत्र की धरती को लेकर भगवान कृष्ण बिल्कुल निश्चिंत हो गए कि यहां पर भाइयों के युद्ध में एक दूसरे के प्रति प्रेम उत्पन्न नहीं होने देंगे। इसके बाद उन्होंने महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में करवाने का एलान कर दिया।
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