व्यस्त जिंदगी में और बदलते कार्यशैली जीवन शैली के बाल घर गृहस्ती से एक पल भी निकाल पाना मुश्किल हो गया है ऐसे में फरीदाबाद जिले में कुछ ऐसे भी परिवार हैं जिनके जीवन में पौधारोपण इस कदर हावी है कि पौधों के प्रति उनकी दीवानगी देख हर कोई उनसे अभिप्रेरित होता है।
सेव अरावली संस्था से जुड़ा यह परिवार अपनी घर-गृहस्थी की तरह पौधों को भी परिवार का अहम हिस्सा मानते हैं। यह परिवार हर माह घर के खर्च में से पौधों की देखरेख का बजट भी शामिल किया जाता है।
समय आते ही यह लोग आपस में चंदा एकत्र कर न केवल पौधारोपण करते हैं बल्कि पूरे साल पौधों को खाद व पानी देने का काम किया जाता है।
हाल ही में संस्था से जुड़े लोग साढ़े चार लाख रुपये की लागत का ट्रैक्टर-ट्राली और पानी का टैंकर खरीद लाए हैं ताकि पौधों को खाद-पानी देने में कोई रुकावट न हो।
इन लोगों की पर्यावरण के प्रति लगन की वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर, निगमायुक्त डॉ. यश गर्ग और मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मंगलेश कुमार चौबे भी सराहना कर चुके हैं। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने तो इन लोगों द्वारा विकसित किए गए फरीदाबाद फारेस्ट में आकर पौधारोपण भी किया था।
वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने टीम के सदस्यों को बुलाकर पर्यावरण संरक्षण विषय पर बैठक की थी। संस्था के संस्था जितेंद्र भडाना सहित संजय राव बागुल, कैलाश बिधुड़ी, सुचित्रा खन्ना, योगेश शर्मा, विकास, अंकित सहित अन्य लोग बेहद संजीदगी से पर्यावरण संरक्षण में दिनरात जुटे हुए हैं।
संस्था के जितेंद्र भडाना और संजय राव बागुल ने बताया कि वह सभी नौकरीपेशा हैं। लेकिन सप्ताह में एक दिन अवकाश मिलते ही वह शहर में संस्था द्वारा विकसित किए जा रहे वन में पहुंच जाते हैं,
वहां श्रमदान करते हैं और जो कमियां मिलती हैं, उन्हें आपस में चंदा एकत्र कर दूर करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने बताया कि पूरे जिले में 10 हजार से अधिक पौधे रोप चुके हैं। सभी की देखभाल भी की जा रही है।
वन विभाग की, नगर निगम व हुडा की जमीन पर वन विकसित किए जा रहे हैं। पाली पुलिस चौकी के पास 5-6 एकड़ में 2 हजार पौधे रोपे हैं। इनकी देखभाल के लिए माली रखे हुए हैं। नियमित रूप से पानी व खाद मिलता रहे, इसलिए चंदा एकत्र कर ट्रैक्टर-ट्राली व पानी का टैंकर खरीद लिया है।
जितेंद्र ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण में ही नहीं जल संरक्षण के प्रति भी बेहद गंभीरता से काम किया जा रहा है। अरावली के अंदर 10 तालाब की खोदाई कर चुके हैं। इनमें बारिश का पानी भरा हुआ है।
इससे दो समस्याएं हल होती हैं। एक तो भूजल स्तर पर सकारात्मक असर पड़ता है और दूसरा जंगली जीव-जंतुओं को पानी की कमी नहीं होती। उन्होंने बताया कि यदि शासन-प्रशासन का पूरा साथ मिल जाए तो वह और भी बेहतर काम कर सकते हैं।
कई बार उनके सामने आर्थिक संकट आ जाता है। शुक्र है भगवान का कि इस संस्था से बहुत की नेक लोग जुड़े हुए हैं जो समय-समय पर आर्थिक मदद कर समस्याएं हल कर देते हैं।
ऐसे में यह परिवार उन लोगों के लिए अभिप्रेरणा का काम कर रहा है जो पौधों की कटाई कर वन संरक्षण को नुकसान पहुंचाने का कार्य करते हैं। ऐसे में उक्त लोगो को इस परिवार से सीख लेनी चाहिए कि आखिर कैसे पौधों की देखभाल कर हरियाली को बरकरार रखा जा सकता है।
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