फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी का दर्जा तो मिला हुआ है, लेकिन यहां के हालात कुछ ओर ही बयां कर रहे हैं। यहां का पॉर्श एरिया हो या फिर ग्रामीण एरिया हर जगह हालात नाले के समान हो जाता है बारिश के समय। एक ऐसा ही गांव है ग्रेटर फरीदाबाद के गांव बुढ़ैना यहां के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। नगर निगम में शामिल इस गांव में जरूरी सुविधाओं के लिए भी ग्रामीण तरस रहे हैं।
प्रशासन का काम होता है कि वह लोगों की सेवा करे, लेकिन यहां का प्रशासन लोगों की सुन ने को तैयार नहीं है। गांव में न कोई स्वास्थ्य केंद्र है और न कोई पशु चिकित्सालय। गलियों में नालियों का पानी जमा है और सीवर लाइन आधी अधूरी डाली गई हैं।
जिले का कोई एरिया हो या हर जगह यही हाल है। दस साल पहले ही ठेकेदार अधूरी सीवर लाइन का कार्य छोड़कर चला गया था। लोग मंत्रियों के पास बहुत से चक्कर लगा चुके हैं लेकिन कोई भी जवाब देने को तैयार नहीं है। कोरोना के बीच यह लोग नाली के पानी के साथ आप जीवन गुज़ार रहे हैं।
गांव की जनता इतनी भावुक है इस समय कि क्यों नहीं हमारी कोई सुन रहा है ? हम मात्र क्या वोट के लिए हैं ? ग्रामीणों के अनुसार बताया 1994 में नगर निगम का पहला सदन फरीदाबाद में गठित हुआ था। निगम के परिसीमन क्षेत्र में उनका गांव बुढै़ना शामिल कर लिया गया। इसके बाद ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब गांव का भला होगा। निगम क्षेत्र में आने से इसके विकास में तेजी आएगी, मगर गांव के लोग अब वर्षों से विकास की राह देख रहे हैं।
विकास के नाम पर एक ग्रामीण ने बताया कि हाँ विकास तो आया है फरीदाबाद में लेकिन दुबे वाला लोगों के भले वाला नहीं। प्रशासन को इसकी सुध लेनी चाहिए।
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