हम सभी इस बात से अवगत हैं कि हमारा पर्यावरण प्रत्येक दिन ख़राब होता जा रहा है और हमें इसे बचाना है। फरीदाबाद नगर निगम ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए जिले के पार्कों से सूखी घास, फूल और पत्तियों को एकत्र करके उनसे खाद बनाना शुरू किया है। निगम का मान न है कि फूल पत्तियों से जो खाद बनेगी वह पार्कों में प्रयोग की जाएगी।
फरीदाबाद के सेक्टर 18ए, 11 और सेक्टर 14 के पार्क में फूल पत्तियों से खाद बनाने वाली मशीन लगाई गई है। निगम का यह कदम सराहनीय है। पुराने समय में जब अंग्रेजी दवाईयों का प्रचलन नहीं था तो औषधीय पौधों को वैध और हकीम विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए प्रयोग में लाते थे।
महामारी कोरोना के समय में हम सभी का झुकाव औषधीय पौधों की तरफ बढ़ा है। हमारे कई ग्रंथों में बहुत सी बहुमूल्य जीवनरक्षक दवाइयां बनाने वाली बूटियों का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें सरकंडा की जड़ों का औषधीय उपयोग का भी उल्लेख है। आधुनिक युग में औषधीय पौधों का प्रचार व उपयोग अत्यधिक बढ़ गया है। इसका सीधा असर इनकी उपलब्धता व गुणवत्ता पर पडा है।
भारत ने दुनिया को योग से लेकर शिक्षा सब दिया है। हमारे देश में बहुत सी ऐसी जड़ी बूटियां हैं जो कि बहुत काम की हैं। अगर हम मुंजा की बात करें तो यह ढलानदार, रेतीली , नालों के किनारे व हल्की मिटटी वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है। यह मुख्यत: जड़ों द्वारा रोपित किया जाता है। एक मुख्य पौधे से तैयार होने वाली 25 से 40 छोटी जड़ों द्वारा इसे लगाया जाता है।
कोरोना के लगातार मामले बढ़ते जा रहे हैं। मुंजा की तरफ आयें अगर तो,बारिश के मौसम यानी जुलाई में जब पौधों से नए सर्कस निकलने लगें तब उन्हें मेड़ों, टिब्बों और ढलान वाले क्षेत्रों में रोपित करना चाहिए। नई जड़ों से पौधे दो महीने में पुर्न तैयार हो जाते हैं।
ओम योग संस्थान ट्रस्ट, ओ३म् शिक्षा संस्कार सीनियर सेकेण्डरी स्कूल पाली , फ़रीदाबाद, हरियाणा, भारत…
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