हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जे पी दलाल ने आज स्पष्ट किया कि हरियाणा सरकार राज्य के सभी किसानों की सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध करवाने तथा प्रदेश में सरकारी मंडियों का और विस्तार करने के लिए कटिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष श्री गुरनाम चढ़ुनी की उच्च अधिकारियों के साथ कल देर रात तक हुई बैठक में यह बात भी स्पष्ट कर दी गई थी कि सरकार इस बारे में वैधानिक व्यवस्थाओं को और सुदृढ़ करने को भी तैयार है।
इसलिए उन्हें उम्मीद है कि कल यानि 10 सितंबर को होने वाली प्रस्तावित किसान रैली को वापिस ले लिया जाएगा। श्री जे पी दलाल ने किसानों से अपील की है कि कोरोना के इस संकट के समय में कल होने वाली रैली को स्थगित करें। हरियाणा सरकार किसान हितैषी सरकार है। सरकार ने निरंतर किसान हित में निर्णय लिए हैं चाहे वह मुआवजा देने की बात हो या नई मंडिया विकसित करने की बात हो।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए अध्यादेशों कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 से केवल यह परिवर्तन हुआ है कि किसानों को यह सुविधा दी गई है कि सरकारी मंडियों के बाहर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक मूल्य पर कोई प्राइवेट एजेंसी फसल की खरीद करना चाहती है तो किसान अपनी फसल अधिक दाम पर बेच सकता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इन अध्यादेशों के आने से किसी भी स्थिति में सरकारी मंडियां बंद नहीं होंगी और एमएसपी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं कि मंडियों के बाहर खरीद-फरोख्त होने से मंडियों का अपना व्यापार कम न हो, इसके लिए नीतियां बनाएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में करोड़ों रुपये की लागत से मंडियों का बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है। 4 हजार करोड़ रुपये की लागत से गन्नौर में एशिया की सबसे बड़ी मंडी, पिंजौर में सेब मंडी और गुरुग्राम में फूलों की मंडी बनाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय में किसानों की सुविधा और फसल की खरीद को सुगम बनाने के लिए मंडियों और खरीद केन्द्रों की संख्या बढ़ाई गई और सीधे किसानों के खाते में पैसा पहुंचाने की व्यवस्था की गई। गेहूं की खरीद के लिए मंडियों और खरीद केन्द्रों की संख्या 477 से बढ़ाकर 2,000 की गई और सरसों के लिए खरीद केन्द्रों की संख्या 64 से बढ़ाकर 248 की गई है। खरीद केन्द्रों में 75 लाख 98 हजार मीट्रिक टन गेहूँ की खरीद की गई।
इसी प्रकार, 7 लाख 50 हजार मीट्रिक टन सरसों की खरीद की गई। सरसों के लिए किसानों के खातों में सीधे ही 3 हजार 303 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है। इसके अलावा, राज्य में 10 हजार 703 मीट्रिक टन चने की खरीद की गई है और किसानों को 50 करोड़ 72 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया है। साथ ही, राज्य में 14 हजार 721 मीट्रिक टन सूरजमुखी की खरीद की गई है और किसानों को 63 करोड़ 5 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 58 मंडियों में बाजरे की खरीद की गई थी तथा इस वर्ष इन्हें बढ़ाकर 108 कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 197 मंडियों में धान की खरीद की गई थी, लेकिन इस कोरोना संकट के समय में इस वर्ष 25 सितंबर, 2020 से आरंभ होने वाली धान की खरीद के लिए 197 मंडियों के अलावा लगभग 200 मंडियां राईस मिलों में खोली जाएंगी। उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों में हरियाणा सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की गई है। उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में सरकार द्वारा फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गई।
विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वर्ष 2015-16 में धान की 42.70 लाख मीट्रिक टन, बाजरा की 5094 मीट्रिक टन, गेहूं की 67.70 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई। वर्ष 2016-17 में धान की 53.48 लाख मीट्रिक टन, बाजरा की 6341 मीट्रिक टन, गेहूं की 67.54 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई। वर्ष 2017-18 में धान की 59.57 लाख मीट्रिक टन, बाजरा की 31449 मीट्रिक टन, गेहूं की 74.25 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई। वर्ष 2018-19 में धान की 58.82 लाख मीट्रिक टन, बाजरा की 183110 मीट्रिक टन, मक्का की 175 मीट्रिक टन, गेहूं की 87.57 लाख मीट्रिक टन और सरसों की 2.68 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई। वर्ष 2019-20 में धान की 64.71 लाख मीट्रिक टन, बाजरा की 310921 मीट्रिक टन, गेहूं की 93.60 लाख मीट्रिक टन, सरसों की 6.15 लाख मीट्रिक टन, चने की 200 मीट्रिक टन, मूंग की 2661 मीट्रिक टन और सूरजमुखी की 10787 मीट्रिक टन की खरीद की गई। वर्ष 2020-21 में सूरजमुखी की 16207 मीट्रिक टन की खरीद की गई।
उन्होंने कहा कि ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर अब तक रबी फसल गेंहू के लिए कुल 8 लाख 12 हजार 136 किसानों ने 47 लाख 11 हजार 886 एकड़ भूमि का पंजीकरण करवाया। सरसों के लिए कुल 3 लाख 89 हजार 664 किसानों ने 16 लाख 20 हजार 211 एकड़ भूमि का पंजीकरण करवाया। इसके अलावा, धान के लिए 3 लाख 47 हजार 808 किसानों ने 18.88 लाख एकड़ भूमि का पंजीकरण करवाया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने निरंतर किसान हितैषी निर्णय लिए हैं चाहे वह मुआवजा देने की बात हो, सबसे ज्यादा मुआवजा हमारी सरकार ने दिया है। अभी हाल ही में सफेद मक्खी के कारण कपास की फसल का नुकसान हुआ, उसके लिए भी मुख्यमंत्री ने विशेष गिरदावरी करवाने के निर्देश दिए और कहा कि जो किसान फसल बीमा योजना के अंतर्गत पंजीकृत हैं, उन्हें बीमा योजना से मुआवजा दिया जाएगा और जो किसान इस योजना के तहत पंजीकृत नहीं है, उन्हें सरकारी खजाने से मुआवजा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों में राज्य सरकार ने प्रति एकड़ मुआवजा दर बढाने के साथ-साथ बाढ़, जलभराव, अग्नि, बिजली की चिंगारी, भारी वर्षा, ओलावृष्टि, आंधी-तूफान और सफेद मक्खी के प्रकोप आदि के कारण क्षतिग्रस्त फसलों को मुआवजा देने का दायरा भी बढाया है। प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान हेतू किसानों को अब तक कुल 2694 करोड़ 94 लाख रूपये की मुआवजा राशि वितरित की गई है। जिसमें वर्ष 2013-14 की बकाया 268 करोड़ 74 लाख रुपये की राशि भी शामिल है। प्राकृतिक आपदा से खराब हुई फसलों की मुआवजा राशि पहली मार्च, 2015 से बढाकर 12 हजार रूपये प्रति एकड़ कर दी गई है।
फसल बीमा योजना के तहत 11 लाख 49 हजार 450 किसानों को 2662 करोड़ 44 लाख 14 हजार रुपये राशि के क्लेम दिए गए। टपका सिंचाई पर भी 85 प्रतिशत की सब्सिडी किसानों को दी जा रही है। श्री जे पी दलाल ने कहा कि कुछ लोग किसान हितैषी होने का ढोंग करके किसानों को गुमराह कर रहे हैं। किसानों से अपील है कि वे किसी प्रकार के बहकावे में न आएं, किसी भी स्थिति में किसानों को नुकसान नहीं होगा। सरकार किसानों के साथ खड़ी है।उन्होंने कहा कि सरकार किसान हित में किसी भी प्रकार का निर्णय लेने में पीछे नहीं हटेगी। कोई भी किसान संगठन, किसान नेता या अन्य पदाधिकारी भी किसान हित में यदि कोई सुझाव देना चाहते हैं तो वे सरकार से बातचीत करें, सरकार सबके सुझाव सुनेगी और उन पर गंभीरता से विचार करेगी।
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