कृषि अध्यादेशों को लेकर शुरू हुआ हंगामा अब अलग रूप लेता नजर आ रहा है इसी कड़ी में अकाली दल की हरसिमरत कौर ने मौजूदा सरकार से इस्तीफा दे दिया है ।
दरअसल शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा में इन विधेयकों को किसान विरोधी कदम बताया और कहा कि उनकी पार्टी की एकमात्र मंत्री इस्तीफा दे देंगी। इसके फौरन बाद हरसिमरत कौर ने इस्तीफे का ऐलान किया ।
आपको बता दें कि किसानों से संबंधित तीन विधेयकों को लेकर पंजाब के किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है. पंजाब के बठिंडा से सांसद और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी.
उन्होंने लिखा, “मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व
पंजाब में अकाली दल और हरियाणा में जेजेपी में एक से ज्यादा बातें समान है . दोनों पार्टियों के राजनैतिक रिश्तों की बात करें तो बादल परिवार और चौटाला परिवार एक दूसरे से मित्रता का भाव रखते हैं. किसान अध्यादेश का विरोध करने के दौरान सुखबीर सिंह बादल ने बड़े किसान नेता देवीलाल को भी याद किया था.
यह भी माना जाता है कि हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन कराने में बादल परिवार का अहम रोल था. SAD और JJP, दोनों ही पार्टियों का अपना ग्रामीण वोट बैंक है. किसान इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं.
JJP इस किसान बिल का समर्थन कर रही है और उसने कांग्रेस पर किसानों को बहकाने का आरोप लगाया है, लेकिन अब किसानों के मुद्दे पर पार्टी में अंदरुनी कलह बढ़ती जा रही है.
वही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल का कैबिनेट मंत्रिमंडल से इस्तीफा तत्काल प्रभाव से मंजूर कर लिया है।
तीन कृषि विधेयकों को लेकर हरसिमरत ने गुरुवार को मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने बादल के केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पद के इस्तीफे को मंजूर कर लिया।
भारत सरकार के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल अपने संसदीय क्षेत्र भटिंडा से साल 2009 से लगातार लोकसभा की सांसद हैं. हरसिमरत कौर गुड़गांव ट्राइडेंट होटल में अपना निजी ज्वैलरी व्यवसाय भी चलाती हैं. इसके अलावा, वह एक फैशन डिजाइनर हैं.
हरसिमरत कौर बादल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2009 के भारतीय आम चुनावों के साथ की थी. इन चुनावों में शिरोमणि अकाली दल से हरसिमरत कौर बादल ने चुनाव लड़ा जिसमें उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार राहींदर सिंह को 120960 मतों से हराया और भटिंडा विधानसभा क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा सदस्य चुनी गई.
हरसिमरत कौर बादल ने अपने पहले भाषण में 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों के पीड़ितों और उनके परिवार के बारे में चिंता व्यक्त की. इसके बाद हरसिमरत कौर बादल ने 2014 के भारतीय आम चुनावों में भटिंडा सीट से पुन: जीत प्राप्त की और मोदी सरकार के अंतर्गत केंद्रीय खाद्य मंत्री के पद पर नियुक्त हुईं थीं.
समाजिक कार्यों में भी हरसिमरत कौर काफी सक्रिय हैं. हरसिमरत कौर बादल को मुख्य रुप से पंजाब में घट रहे महिला लिंग अनुपात के विरुद्ध और वृक्षों को बचाने के लिए चलाए जा रहे ‘नन्ही छां’ अभियान के लिए जाना जाता है. इस अभियान के तहत राज्य में कन्या भ्रूण हत्या और अन्य मामले जैसे कि कैंसर से निपटने, कृषि,
किसानों की समस्याएं, पर्यावरण संबंधी समस्याएं और लगातार कम हो रहे जंगलों के बारे में लोगों को जागरूक करने का प्यास किया गाया. इस अभियान के माध्यम से पंजाब के गावों में 75 सिलाई केन्द्र खोले गए हैं जिसमें सैकड़ों महिलाएं काम करती हैं.
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