हर वर्ष फरवरी माह में धूमधाम से आयोजित किए जाने वाले सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले को लेकर पर्यटक विभाग असमंजस की स्थिति में है। इसका कारण यह है कि कोरोना वायरस के संक्रमण में सूरजकुंड में लाखों की भीड़ के बीच मेले का आयोजन करना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
वैसे तो अगस्त माह की अंतिम तिथि तक सूरजकुंड मेले में तैयारियां होनी शुरू हो जाती है परंतु इस बार ऐसा कुछ भी होता वह दिखाई नहीं दे रहा है।
इस हफ्ते केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और प्रदेश के पर्यटन मंत्रालय के बीच होने वाली बैठक के बाद निर्णय लिया जाएगा कि इस बार मेले का स्वरूप कैसा होगा। बता दें कि हर वर्ष फरवरी में सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले का आयोजन किया जाता है। पिछले वर्ष 1 फरवरी से 17 फरवरी तक मेले का आयोजन किया गया था।
अगस्त, सितंबर से ही तैयारियां तेज कर दी जाती हैं। मेले में पार्टनर कंट्री के रूप में एक देश तो थीम स्टेट के रूप में एक प्रदेश को जोड़ा जाता है। हस्तशिल्प कला को बढ़ावा देने के लिए मेले में देश-विदेश के शिल्पियों को आमंत्रित किया जाता है, तो सांस्कृतिक समृद्धि के मकसद से कई विदेशी कलाकारों को भी जोड़ा जाता है।
वह इस बाबत जानकारी देते हुए सूरजकुंड मेले की नोडल अधिकारी राकेश जून ने बताया कि मेला परिसर को सजाने-संवारने के साथ ही छोटी-बड़ी चौपालों को आकर्षक रूप दिया जाता है। कोरोना संकट के चलते अभी तक इस दिशा में कोई भी तैयारी नहीं की गई है।
सूत्रों की मानें, तो इस बार मेले की समय अवधि बढ़ाई जा सकती है, लेकिन शारीरिक दूरी का पालन और मास्क लगाने की अनिवार्य शर्तों के साथ ही दर्शकों को मेले में प्रवेश दिया जा सकेगा। मेले के आयोजन को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस हफ्ते मंत्रालय की बैठक होगी। इस बैठक में ही दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे। जैसे ही उच्च अधिकारियों के आदेश आएंगे, तैयारियां तेज की जाएंगी।
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