ताजमहल के 22 बंद कमरों के अंदर छिपा हैं एक रहस्य, जानिए राज की वह बात :- आगरा का ताजमहल, दुनिया के 7 अजूबो में से एक है। सात अजूबों में अपना शुमार रखने वाले ताजमहल को विश्व भर में प्यार की निशानी के रूप में जाना जाता है। इस अद्भुत कारीगरी की मिसाल मानी जाने वाली इमारत को देखने के लिए हर साल दुनियाभर से लाखों लोग आगरा जाते हैं।
जितनी अद्भुत कारीगरी इसे बनाने में की गई है। उतनी ही अद्भुत इस इमारत के पीछे का राज़ भी है। एक राजा की अपनी रानी से बेइंतहा मुहब्बत की निशानी के रूप में जानी जाने वाली ये इमारत अपने में कई राज समेटे हुए है।
इतिहास में दर्ज इबारतें बताती हैं कि ताजमहल बनने के दौरान क्या-क्या नहीं हुआ था। अपनी भव्यता, सुंदरता, खूबसूरत कारीगरी की मिसाल इस इमारत ताजमहल को मुगल शासक शाहजहां ने अपनी प्यारी रानी मुमताज के लिए बनवाया था।
गौरतलब है कि ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरु हुआ जो 1653 तक चला। बताया जाता है कि हज़ारों शिल्पकारों, कारीगरों और संगतराशों ने इस बेमिसाल ईमारत को बनाने में अपना योगदान दिया है। आपको बता दें कि शानदार संरचना और बेमिसाल कारीगरी को देखने के लिए हर साल 70 लाख से अधिक पर्यटक ताजमहल को देखने आते हैं।
ताजमहल भारत का सबसे लोकप्रिय पर्यटन और आकर्षण का केंद्र है लेकिन कई पर्यटक इसकी असली इतिहास को नहीं जानते हैं। जी हां ताजमहल बनाने को लेकर कई राज छिपे है जिसे आज भी किसी को पता नहीं है।
इस खूबसूरत इमारत के 22 बंद कमरो का राज अब तक राज बना हुआ है। बता दें कि ताजमहल के तैखाने में पूरे 22 कमरे हैं। सदियों से ताजमहल के यह तहखानें बंद पड़े हैं। आज तक किसी को भी यह पता नहीं चल पाया है कि यह तैखाने क्या हैं।
लोगों की मानें तो इन 22 कमरों तक पहुंचने का रास्ता ताज के वेंटीलेशन के लिए बनाए गए रास्तों से होकर जाता है। लेकिन कोई इन कमरों तक न पहुंच सके इसके लिए इन रास्तों को ईंट और चूना भरकर हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है।
जो कमरे दुनिया की नजरों से छिपाये गए हैं। उनके छिपाने की बड़ी वजह ये है कि ये कमरे हिंदु धर्म के देवी-देवताओं की पेंटिंग्स और मूर्तियों से सजे हैं। लोगों को इस बात का पता न चल सके इसलिए इन्हें लोगों की नजरों से दूर कर दिया गया।
इसके अलावा कर्ई ऐसे सिद्धांतकार हैं जो यह कहते हैं कि ताजमहल के बेसमेंट में जो कक्ष बने हुए है वह मार्बल के बने हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि तहखाने में कार्बन डाइऑक्साइड की अगर मात्रा बढ़ जाएगी तो वह कैल्शियम कार्बोनेट में बदल जाएगी।
कार्बन डाइऑक्साइड मार्बल्स को पाउडर का रूप देने शुरू कर देता है और उसकी वजह से दीवारों को नुकसान पहुंच सकता है। ताजमहल की दीवारों को नुकसान से बचाने के लिए तैखानों को बंद कर दिया गया। ताजमहल विश्व धरोहर है और इसे इसी रूप में देखा जाना चाहिए। व्यर्थ का विवाद ताज के साथ नहीं जुड़ना चाहिए।
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