लॉकडाउन ऑनलाइन क्लास देने पर ही स्कूल ले सकते है टयूशन फीस। महामारी के समय में निजी शिक्षण संस्थानो और अभिभावकों के बीच के फीस लेने के मामले को हाई कोर्ट ने साफ़ कर दिया है।
अब तक निजी स्कूलो द्वारा बच्चो से मासिक फीस वार्षिक शुल्क और ट्रांसपोर्ट फीस वसूलने देने के एकल बेच के फैसले के खिलाफ सरकार व् अन्य की अपील को लेकर हाई कोर्ट ने फैसला लिया है
इस फैसले में जिन स्कूलो लॉक डॉउन के दौरान ऑनलाइन क्लास की सुविधा दी है
सिर्फ वही स्कूल स्टूडेंट्ड से टूशन फीस वसूल सकते है हाई कोर्ट ने निजी स्कूल के पिछली बैलेंस शीट को भी किसी सीए से वैरिफाई करवाकर दो सप्ताह के भीतर देने के आदेश दिए है।
जज राजीव शर्मा एवं जसिटस हरींद्र सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने यह फैसले के खिलाफ सरकार सहित अभीभावको द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए दिए है। हाई कोर्ट ने सिंगल बेच के 30
जून के फैसले में सुधार करते हुए यह आदेश दिए है।
हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को यह भी आदेश दे दिए। वह अपने स्टाफ को चाहे वो रेगुलर है या कॉन्ट्रैक्ट पर या ऐड होक पर उन्हे पूरा वेतन दिया जायेगा जो वह २३ मार्च को लॉक डॉउन लगने से पहले दिया जाता था।
हाई कोर्ट ने यह साफ़ कर दिया है लॉक डाउन के दौरान छात्र स्कूल नहीं गए है। ऐसे में निजी स्कूल छात्रों से कोई भी ट्रांसपोटशन फीस नहीं वसूल सकते। आदेशों के साथ हाई कोर्ट ने इन सभी अपीलों पर अंतिम सुनवाई किये जाने के लिए इन्हे 12 नवंबर तक स्थागित कर दिया गया है न्याय धीश राजीव शर्मा ने इन अपीलों पर सुनवाई करतें हुए
कहा की लॉक डाउन के दौरान स्कूलों ने कहा की यह आदेश पंजाब और हरियाणा के सभी निजी स्कूलो पर लागु होंगे इसमें पहले इन अपीलों पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की खंड पीठ ने कहा था की अगर कोई छात्र फीस नहीं जमा करवा पाता है तो स्कूल छात्र का नाम नहीं काटेंगे।
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