जैसे – जैसे नवरात्र के दिन पास आना शुरू हो जाते हैं, वैसे – वैसे जिले में रामलीला आयोजन की तैयारी शुरू हो जाती है। रामलीला में जो लोग अभिनय करते हैं वे लोग महीने भर पहले से ही पूर्वाभ्यास में लग जाते हैं। लेकिन अब की बार उनके पात्रों से जुड़े संवाद लबों पर आके ही रुक से रहे हैं। यदि फरीदाबाद में इस बार रामलीला मंचन की परंपरा टूटेगी, तो यह 65 सालों में पहली बार होगा।
ख़बरों के मुताबिक, जिले की रामलीला की कमेटियां अंतिम समय तक इस प्रयास में जुटे हुए हैं कि आयोजन की अनुमति मिल जाए, और जिलेवासियों को रामलीला दिखाएं। ख़बरों के अनुसार, दुर्गापूजा व नवरात्रा महोत्सव पर भी संशय बना हुआ है।
रामलीला कमेटियों के कलाकारों का तो पूरा मन है कि इस बार रामलीला हो लेकिन अभी तक कुछ पक्का नहीं है। 65 सालों में ऐसा पहली बार होगा कि रामलीला मंचन व रावण दहन रोका जाएगा। संक्रमण के चलते रामलीला मंचन व रावण दहन नहीं करने का निर्णय सरकार कर सकती है। दशहरे पर इस बार ना रावण के पुतले जलेंगे ओर ना श्रीराम की शोभायात्रा निकाली जाएगी ऐसा कहा जा रहा है।
प्रभु के बिना पत्ता नहीं हिलता यह बात सच है लेकिन इस बार यदि रामलीला नहीं हुई तो यह भी प्रभु का ही इशारा होगा। फरीदाबाद में नवरात्रा महोत्सव पर सजने वाले दुर्गापूजा पांडालों की रौंनक पर भी संशय बना हुआ है। रामलीला के साथ ही रावण दहन को लेकर भी संशय बढ़ता जा रहा है। एनसीआर में कुछ रामलीलाओं ने साफ कर दिया है कि रामलीला का आयोजन अब नहीं होगा।
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