ग्रीनफील्ड कॉलोनी कहने को तो पॉश कॉलोनियों में गिनी जाती है, लेकिन यहां पर अर्बन इंप्रूमेंट कंपनी की लापरवाही के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आरोप है कि कंपनी को डिवलेपमेंट चार्ज देने के बावजूद भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है।
कॉलोनी में करीब 7 हजार परिवार रहते हैं। इन दिनों सभी रेजिडेंट्स को टूटी सडक़ का सामना करना पड़ रहा है। कॉलोनी की मेन सडक़ से लेकर पॉकिटों के अंदर की अनेकों सडक़ें टूटी हैं। जिसकी वजह से आए दिन लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
यही कारण है कि आरडब्ल्यूए और रेजिडेंट्स को चंदा एकत्रित करके खुद ही सडक़ बनवाना पड़ रहा है। जबकि, स्थानीय लोग यूआईसी कंपनी को डिवलेपमेंट चार्ज दे चुके हैं। कॉलोनी में आरडब्ल्यूए की अध्यक्षता में लोगों द्वारा एकत्रित चंदे से अभी तक अलग-अलग दो सडक़ें बनवाने का काम शुरू कराया जा चुका है।
ग्रीनफील्ड कॉलोनी रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसायटी के प्रधान वीरेंद्र सिंह भड़ाना और एडवोकेट पारूल बावा का कहना है कि यूआईसी कंपनी के अधिकारियों की मनमानी की वजह से आए दिन लोगों को टूटी सडक़ की सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। सबसे अधिक परेशानी बुर्जुग और गर्भवती महिलाओं को होती है।
क्योंकि, टूटी सडक़ के बीच से होकर आना लाना खतरे से खाली नहीं है। सडक़ पर हुए बड़े बड़े गड्ढे में लोग गिरकर चोटिल भी हो रहे हैं। जिसको लेकर यूआईसी कंपनी और नगर निगम अधिकारियों से शिकायत की जा चुकी है। इसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
इससे कॉलोनीवासी पारुल बावा, सागर चौहान, सरिता शर्मा, जितेंद्र शर्मा, आरती नौटियाल व धर्मेंद्र बिधूड़ी के.पी. बिधूड़ी आदि लोगों में यूआईसी कंपनी के प्रति काफी रोष व्याप्त है।
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