जलेबी जिसका नाम सुनते ही हर कोई के मुंह में पानी आना तो निश्चित है। जलेबी का नाम सुनते ही मन में हल्का नरम और कुरकरा सा स्वाद आ जाता है। हमारे देश के हर कोने में लोग बहुत चाव से जलेबियां खाना पसंद करते हैं। लाल-नारंगी, चाशनी में डूबी गर्म-गर्म जलेबियां हर किसी की फेवरेट जरुर होती है, बारिश और जाड़े के मौसम में जलेबी खाने का अपना ही अलग मजा है।
भारतीयों को जलेबी से इस क़दर प्यार है कि कई लोग तो इसे अनाधिकृत रूप से राष्ट्रीय मिठाई तक कहते हैं। अब आप सुनकर हैरान रह जाएंगे कि जिसको आप बड़े चाव से खाते है दरअसल वो भारत का नहीं बल्कि दूसरे देश से विकसित हुआ है।
ये बहुत कम लोग जानते होंगे की जलेबी दूसरे देश से आया है लेकिन ये सच है तो चलिए इसके बारे में विस्तार से बताते है जलेबी भारत की नहीं बल्कि पर्शिया की देन है।
अब आप ये सोच रहे होंगे कि आखिर ये विदेशी जलेबी भारत में कैसे पहुंचा। दरअसल हौब्सन-जौब्सन के अनुसार जलेबी शब्द अरेबिक शब्द ‘जलाबिया’ या फारसी शब्द ‘जलिबिया’ से आया है। कहते हैं कि जलेबी 500 साल पहले तुर्की आक्रमणकारियों के साथ भारत पहुंची थी और अब यह मिठाई भारत की पहचान बन चुकी है।
आपको बता दे बाजारों में जलेबी की तरह ही एक और मिठाई मिलती है, जिसे इमरती कहा जाता है। बनाने की विधि से लेकर स्वाद तक में इमरती बिल्कुल जलेबी की तरह की होती है। बस इसकी बनावट थोड़ा अंतर होता है, जहां जलेबी गोल-गोल होती है वहीं इमरती जालीनुमा होती है।
हमारी बचपन की यादों से लेकर, हर शहर के नुक्कड़ तक जलेबी इस तरह बसी हुई है कि सुनकर पहली बार में ये मानने का ही दिल ना करे कि जलेबी सबसे पहले भारत में नहीं बनी, बल्कि किसी और देश से यहां पहुंची।
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