भाग्यशाली माने जाते हैं वह लोग जिनकी ऐसी होती हैं उंगलियां, पढ़िए इससे जुड़ी खास बातें

शरीर के कई अंग भाग्य और भविष्य के संकेत देते हैं। केवल हस्तरेखा से ही किसी के भाग्य को नहीं जाना जा सकता। सामुद्रिक शास्त्र में शरीर के विभिन्न अंगों और बनावट के आधार पर जातकों के व्यवहार और भाग्य के बारे में जानकारी मिलती है।

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की 6 उंगलियां होती हैं, वे दूसरे लोगों से अधिक लकी यानी किस्मत वाले होते हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ लोगों के हाथों में लिटिल फिंगर यानी कि अंगूठा के पास छठी उंगली होती है। वहीं कुछ हाथों में अंगूठे से जुड़ी होती है।

भाग्यशाली माने जाते हैं वह लोग जिनकी ऐसी होती हैं उंगलियां, पढ़िए इससे जुड़ी खास बातें

इन दोनों ही स्थितियों को शुभ माना गया है। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, जिन हाथों में 1 अतिरिक्त उंगली होती है। हस्तरेखा और सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन लोगों के हाथ में छः अंगुलियां होती हैं, वो भाग्यशाली होते हैं।

जिस व्यक्ति के हाथ में 10 से अधिक उंगलियां हैं, वह अधिक फायदा कमाने वाला और हर काम में छानबीन करने वाला होता है।

वहीं कई व्यक्तियों के पैर में उनकी दूसरी उंगली अंगूठे से बड़ी नजर आती है। जिसे भाग्यशली माना गया है। यहां आप जानेंगे कि किसी भी व्यक्ति के पैरों की शेप को देखकर कैसे उसके व्यवहार और जीवन के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है।

जिन लोगों के पैर की दूसरी उंगली अंगूठे से बड़ी होती है ऐसे लोग बहुत ज्यादा ऊर्जावान होते हैं। ये लोग अगर किसी काम को हाथ में ले लें तो उसे पूरा करके ही मानते हैं।

अगर पैर का अगूंठा और उसके बराबर वाली उंगली का साइज एक ही हो, तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति काफी मेहनत करने वालों में से है। ये लोग मेहनत के दमपर काफी नाम भी कमाते हैं और ये लोग विवादों में कम ही पड़ना चाहते हैं। जिनके पैर में अंगूठे की बगल की उंगली यदि बराबर हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत रोबिला होता है।

इन्हें दूसरों पर प्रभाव दिखाने की आदत होती है। ऐसा व्यक्ति बेहतर लीडर होता है। ये अपनी बात मनवाने का गुण बेहतर तरीके से जानते हैं। बस इनके अंदर जिद्द सवार होनी चाहिए।

जिसके पैर में अंगूठा छोड़ कर सारी उंगलियां बराबर हों और अंगूठ उनमें सबसे लंबा हो तो ऐसा व्यक्ति कलाप्रेमी होता है।

हालांकि आपको बता दे कि शोधकर्ताओं का कहना है कि हाथ या पैर में अतिरिक्त उंगलियां होना कोई बीमारी नहीं होती। इसे विज्ञान की भाषा में पॉलिडेक्टिली कहते हैं। ऐसा 800 में से एक व्यक्ति को होता है।

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