महामारी से बचाव के लिए संपूर्ण भारत में लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान लॉकडाउन में प्रदेश के पोल्ट्री फार्म मालिकों ने लगभग एक करोड़ मुर्गियां दफना दी थीं। यही कारण है कि अब अंडे के भाव में उबाल आ रहा है। सर्दियां आने वाली हैैं। इस दौरान अंडों की खपत और बढ़ जाती है। इससे अभी अंडों के भाव और बढ़ेंगे।
लगातार बढ़ते भाव का कारण जनता को अभी नहीं पता है। यदि हम वर्तमान की बात करें तो प्रदेश में इस समय लगभग दो करोड़ मुर्गियां हैं, जबकि लॉकडाउन से पहले इनकी संख्या करीब तीन करोड़ थी।

जनता को डर लग रहा था कि कहीं मुर्गियों से महामारी ज़्यादा ना फैले। लॉकडाउन के दौरान अंडों की बिक्री न होने और फीड न मिलने के कारण विवश होकर मुर्गी पालकों लगभग एक करोड़ मुर्गियां जिंदा दफना दी थीं। इससे उत्पादन भी एक तिहाई घट गया है। लॉकडाउन से पहले अंडों के भाव पर नजर डालें तो फरवरी-मार्च में थोक में प्रति अंडा 3.30 रुपये मिल रहा था, जो अब छह रुपये के नजदीक पहुंच गया है।

अंडा सेहत के बहुत अच्छा माना जाता है। घरों में अंडा लवर कोई न कोई मिल ही जाता है। रिटेल में 30 अंडों की ट्रे 165 रुपये में बेची जा रही है। प्रदेश के बड़े अंडा व्यवसायी कहते हैं कि हरियाणा से प्रति दिन दो से सवा दो करोड़ अंडे की आपूर्ति होती है। अंडा उत्तर प्रदेश , बिहार व पूर्वोत्तर के प्रदेशों असम, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड आदि में होती है। नए फार्म शुरू करने में बहुत खर्चा है। इस इस कारण अभी अंडों के भाव कम नहीं होंगे।

थोक विक्रेताओं का कहना है कि अण्डों के बढ़ते दामों से आम जन परेशान दिखाई दे रहा है। राज्य में अंडे की कीमत में लगातार इजाफा हो रहा है। मार्च से अब तक 40 से 50 फीसदी तक अंडा उत्पादन घटने के कारण कीमतों में इजाफे की बात कही जा रही है। हरी सब्जियों के आसमान छूते दाम के की वजह से अधिकतर लाेग अंडे काे विकल्प के रूप में ले रहे हैं।