फरीदाबाद समेत भारत में इस समय लगातार धड़्डले से विकास कार्य हो रहे हैं। जिसकी वजह से पेड़ों को काटा जाता है। इन पेड़ो को भरपाई नहीं की जाती है। इस से लगातार इसका असर पर्यावरण पर होता है। जिले में बढे हुए प्रदूषण का स्तर का कारण एक इसे भी कहा जा सकता है। पेड़ों के काटने से ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। इससे पृथ्वी का तापमान बिगड़ रहा है। साथ ही जैव विविधता भी प्रभावित हो रही है।
स्मार्ट सिटी परियोजना के अधिकारीयों ने पेड़ ना काटने के लिए के कदम उठाया है। यदि अब स्मार्ट सिटी के तहत काम के दौरान रास्ते में कोई पेड़ आएगा तो उसे काटा नहीं बल्कि शिफ्ट किया जाएगा।

फरीदाबाद में ऐसा करना शुरू भी करदिया गया है। 15 से अधिक पेड़ों को ग्रेटर फरीदाबाद में खाली जगह पर शिफ्ट करदिया गया है। पेड़ों के कटने से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इसकी वजह से जैव विविधता की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। दुर्लभ जीव-जन्तु विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके हैं। लिहाजा, पर्यावरण को सहेजने के लिए वृक्षों को बचाना होगा।

रोज़ाना करोड़ों पेड़ों को काटा जाता है। वो दिन अब दूर नहीं शायद जब पेड़ नज़र ही आना बंद हो जाएंगे। विकास की बयार में औद्योगिकरण तेजी से बढ़ रहा है। उद्योगों का बढ़ता यही दायरा प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। दरअसल, वृक्षों के कटान सीधे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या बढ़ती जा रही है, जिसका सीधा असर मौसम पर दिखाई दे रहा है।

जिले में बहुत सी जगह पेड़ो को काट कर निर्माण किया जा रहा है। बात एनआईटी क्षेत्र की हो या फिर सेक्टर्स की। हम सभी ने बेमौसम बरसात देखी है और सर्दी के दिनों में गर्म होते मौसम से साफ है कि यदि पर्यावरण के प्रति सचेत नहीं हुए तो परिणाम और भी भयावह होंगे। यही नहीं कम होते पेड़ों का असर जैव विविधता पर भी साफ दिखाई दे रहा है।