हर साल 1 मई को अंतराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है । इसे पहली बार 1 मई 1886 में मनाया गया था ।भारत में इसे सबसे पहले इसे 1 मई 1923 में मनाया गया था । इसकी शुरुआत चेन्नई में की गई थी ।इसका मुख्य उद्देश्य मजदूरों का सम्मान देना है ।
अमेरिका में इस दिवस की शुरुआत तब हुई थी जब लाखों मजदूर सड़कों पर अपने हक के लिए उतर गए थे।काम काज ठप हो चुका था ।
लेकिन आश्चर्यजनक बात ये है कि आज हिंदुस्तान में मजदूर सड़कों पर इस महामारी के दौरान दिखाई दिए क्योंकि अधिकतर मजदूर दिहाड़ी पर काम करते है ।इसका मतलब रोज कामना और रोज खाना , इसलिए ये अपने पास पैसे को बचाकर नहीं रख पाते ।
इसी कारण कि वजह से कोरोना महामारी के दौरान आज मजदूर 1 महीना भी घर बैठ कर खाना नहीं प्राप्त कर सकें। सरकार ने अपनी पूरी कोशिश करी इन मजदूरों के दुख को कम करने के लिए लेकिन इनका संख्या काफी है ।हर एक मजदूर तक सुविधा पहुंचना बेहद मुश्किल है ।
लेकिन हिंदुस्तान में मजदूरों के लिए आज सरकार द्वारा एक राहत की बात ये है कि अब 7 राज्यों की सरकार ने मिलकर ये निश्चय किया है कि वे अपने अपने राज्यो के मजदूरों को लाने का भर उठाएंगे। अन्य राज्यों में मजदूर कर रहे मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाया जाएगा ।
एक सफल देश के लिए मजदूर का होना अति आवश्यक है ।आज अंतराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर हमें उन्हें उन मजदूरों का सम्मान और धन्यवाद करना चाहिए जो अपने घरों से दूर मजदूरी करने आते है। इस महामारी के दौरान भी जितना हो सके उनकी सहायता करनी चाहिए ।
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