पिछले कई दिनों से पोलूशन विभाग द्वारा प्रदूषित वातावरण पर नियंत्रण पाने के लिए अथक प्रयास किए जा रहे हैं। इसके चलते ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत जनरेटर चलाने वालों पर नकेल कसने के लिए सखताई अपनाई जा रही है।
इसके बावजूद ना तो पर्यावरण प्रदूषित होने में कोई कोर कसर छोड़ी जा रही है, और ना ही जनरेटर के चालू होने में किसी प्रकार की सख्ती दिखाई जा रही है। उक्त योजना को लागू किए एक सप्ताह बीतने को है लेकिन इसके प्रभाव ज्यों के त्यों बने हुए हैं।

शहर में जैसे ही बिजली गुल होती है। वैसे ही बैंक, कंपनियों, समेत दुकानों व कारखानों में जनरेटर की खट खट चालू हो जाती है। जबकि इस योजना के लिए ईपीसीए द्वारा केवल आपातकालीन स्थिति में ही जनरेटर चलाए जाने की अनुमति दी गई है।
जानकारी के मुताबिक बुधवार को सेक्टर-31, सेक्टर-16ए और सेक्टर-11 सहित के कई क्षेत्रों में दो से पांच घंटे बिजली कटौती रही।
इसके चलते उक्त क्षेत्रों के आस पास स्थापित बैंक, रेस्तरां और मॉल बिजली कटौती के तुरंत बाद जेनरेटर चलाए गए। इससे ना सिर्फ ध्वनि प्रदूषण बढ़ा बल्कि वायु भी प्रदूषित होता रहा। बिजली कटौती के दौरान जनरेटर से ही लाइट, सर्वर व एयर कंडीशन चलाए जाते हैं।

कार्यालय, बैंक, होटल व रेस्तरां जनरेटर पर इस तरह से आश्रित हो चुके हैं कि इनमें बिजली बैकअप के लिए लगाए गए इनवर्टर भी हटा दिए गए हैं। इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से तो कार्रवाई अमल में लाई जा रही है, परंतु नगर निगम हाथ पर हाथ रखे बैठा है।
उक्त पूरे प्रकरण में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी स्मिता कनोडिया का कहना है कि दिन प्रतिदिन बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण करने हेतु विभाग पूरी तरह कार्यरत है।
उन्होने कहा इसी कड़ी में मंगलवार पर कार्यवाही करते हुए कई लोगों पर गाज भी गिरी है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रेप के नियमो को अनदेखा करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।