प्रदेश सरकार लगातार नए – नए फैसले लेती जा रही है। मनोहर सरकार ने जो फैसला अब लिया है उसके अंतर्गत गांव की जमीन के कलेक्टर रेट तय हो सकेगें। फ़िलहाल तक प्रदेश में गांवों का अलग-अलग कलेक्टर रेट नहीं था। अब से हर गांव का अलग कलेक्टर रेट तय करने को लेकर राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई है।
अभी तक जो रेट तय नहीं थे अब उनके तय होने जा रहे हैं साथ में इस योजना में यह भी है कि, यदि एक तहसील में पचास से सौ गांव हैं तो हर गांव का अलग कलेक्टर रेट होगा।

इनके तय होने से गांवों में विकास कार्य होने की भी संभावना है। मनोहर सरकार का कहना है कि इस कदम से प्रदेश के गांवों में जमीनी विवाद कम हो सकते हैं एवं राजस्व का फायदा होगा। कम रेट पर रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी। अभी तक पूरे तहसील के रेट के हिसाब से ही कलेक्टर रेट तय कर जमीन की रजिस्ट्री की जा रही है।

यदि हम प्रदेश के गांवों में 2020 की बात करें तो ऐसा भी हो रहा है कि यदि 5 लाख की किसी के पास ज़मीन है तो वह व्यक्ति उसको दो लाख रुपये की दिखाकर रजिस्ट्री करा सकता है एवं करा रहे हैं। इससे सरकार को काफी राजस्व का नुकसान हो रहा है। गांवों की जमीन के कलेक्टर रेट तय होने के बाद इस पर अंकुश लगेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को नए साल तक पूरे प्रदेश में सभी जिलों में जमीनों के कलेक्टर रेट तय करने के निर्देश दिए हैं।

सरकार की माने तो इस योजना में हर साल कुछ ना कुछ बदलाव होंगें एवं इन मूल्यों में हर साल में बदलाव भी किया जाएगा। अधिकारियों को कहा गया है कि कलेक्टर रेट तय करने के लिए पूरे प्रदेश में एक समान पद्धति अपनाई जाए।