नमस्कार! मैं हूँ फरीदाबाद और आज आप सभी को शहर वासियों की परेशानी का ब्यौरा देने आया हूँ। पिछले दिनों नीलम पुल के नीचे लगी आग ने क्षेत्र की काया पलट कर दी। पुल के नीचे कबाड़े के अम्बार में आग लगने के बाद पुल की हालत जर्जर हो गई।
तीन अहम स्तम्भ जलकर क्षतिग्रस्त हो गए और प्रदूषण के स्तर में भी इजाफा हो गया। पहले ही मैं प्रदूषण के प्रकोप को झेल रहा था कि उसके बाद तो जैसे यही प्रदूषण मेरे लिए किसी विक्राल दानव में तब्दील हो गया। अरे आप लोग तो खुशनसीब हैं कि आपके पास मास्क लगाने का और चेहरे को ढंकने का विकल्प है पर मैं अभागा तो इस सुख से भी वंचित रह गया हूँ।

प्रदूषण तो चलो बाद की बात है, इस आग ने तो मेरे प्रांगण में चल रही आवाजाही को कीचड़ में धकेल दिया है। नीलम पुल पर लगी भीषण आग ने क्षेत्र में ट्रैफिक के प्रभाव को खराब कर दिया है। इतना ट्रैफिक है कि जल्द कि अन्य वाहनों के साथ साथ एम्बुलेंस को भी लम्बी कतार में खड़ा होना पड़ रहा है। नौकरीपेशा पर जाने वाले लोग परेशानियों को झेल रहे हैं।

एनआईटी को ओल्ड के साथ जोड़ने में नीलम पुल का बड़ा योगदान रहता था। पर आग लगने के बाद वाहनों की आवाजाही का दारोमदार बाटा पुल के कंधों पर आ गया है। त्योहारों का भी समय है और साथ ही साथ एनआईटी में कई कार्यक्रमों का आयोजन भी करवाया गया है।

ऐसे में जिन भी अभिभावकों को इन कार्यक्रमों में सम्मिलित होना है उन्हें खाख छान कर एनआईटी पहुंचना पड़ रहा है। अवैध अतिक्रमण और कब्जों की देन है यह आग। नीलम पुल सिर्फ इस कारण से सुर्खियों में है क्यों कि वहां पर दुर्घटना हो चुकी है।

पर मेरे प्रांगण में मौजूद चारों पुल इसी अवस्था के शिकार हैं। किसी के नीचे अवैध रूप से झुग्गियां बना दी गई हैं तो कहीं पर बिन बताए बाजार खोल दिए जाते हैं। कूड़ा कचरा और गंदगी फैलती है तो उसपर आग लगा दी जाती है। अब सवाल यही है कि क्या फरीदाबाद का प्रशासन और फरीदाबाद की जनता क्या सिर्फ दुर्घंट्नाओं का इंतजार कर है?