आज वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे है । हर साल आज ही के दिन 3 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है ।इस दिन को मनाने का उद्देश्य है प्रेस कि स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा तय करना है । लेकिन मीडिया कर्मियों की स्वतंत्रता के मामले में हिंदुस्तान अन्य कई देशों से पीछे है ।
यदि हम बात करें वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स की तो हिंदुस्तान देश 180 देशों की श्रृंखला में 140 वा स्थान है ।पिछले कुछ सालों लगातार भारत का स्थान गिरता नज़र आ रहा है। पिछले 4 सालों से लगातार 2-2 अंक गिरता जा रहा है ।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले 5 सालों में 198 पत्रकारों पर हमला किए जाने के मामले सामने आए । कई बार ये घटनाएं खबर छापने से नाराजगी होने की वजह से हुई । कभी कभी सच्ची ख़बरें कई लोगों को कड़वी लगती है इसलिए वे अपना आपा खो बैठते है ।
इस दिन को मनाने का मकसद पत्रकारों पर हो रहे अत्याचारों पर रोक लगाना है । कई बार तो मीडिया संगठनों को सरकारें भी परेशान करती है , उनपर छापा लगवाया जाता है । साथ ही विज्ञापन बंद के आर्थिक रूप से भी हानी पहुंचाने का कार्य भी करते है । हालाकि इस बात को अभी जानते है कि एक मीडिया हम सभी जीवन के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।इस मौके पर सरकारों को और नागरिकों को मीडिया के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है ।
अफ्रीका में पत्रकारों ने 1991में प्रेस की आजादी के लिए एक पहल कि गई थी । इसके बाद प्रेस कि आज़ादी से जुड़ा एक बयान जारी किया गाय था ।इस सम्मेलन की दूसरी जयंती 1993 में यूनेस्को ने हुई। इसके बाद हर साल 3 मई को वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे मनाने का निर्णय लिया गया।
।इस दिन को मनाने का उद्देश्य है प्रेस कि स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा तय करना है । लेकिन मीडिया कर्मियों की स्वतंत्रता के मामले में हिंदुस्तान अन्य कई देशों से पीछे है ।
यदि हम बात करें वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स की तो हिंदुस्तान देश 180 देशों की श्रृंखला में 142 वा स्थान है ।पिछले कुछ सालों लगातार भारत का स्थान गिरता नज़र आ रहा है। पिछले 4 सालों से लगातार 2-2 अंक गिरता जा रहा है ।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले 5 सालों में 198 पत्रकारों पर हमला किए जाने के मामले सामने आए । कई बार ये घटनाएं खबर छापने से नाराजगी होने की वजह से हुई । कभी कभी सच्ची ख़बरें कई लोगों को कड़वी लगती है इसलिए वे अपना आपा खो बैठते है ।
इस दिन को मनाने का मकसद पत्रकारों पर हो रहे अत्याचारों पर रोक लगाना है । कई बार तो मीडिया संगठनों को सरकारें भी परेशान करती है , उनपर छापा लगवाया जाता है । साथ ही विज्ञापन बंद के आर्थिक रूप से भी हानी पहुंचाने का कार्य भी करते है । हालाकि इस बात को अभी जानते है कि एक मीडिया हम सभी जीवन के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।इस मौके पर सरकारों को और नागरिकों को मीडिया के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है ।
अफ्रीका में पत्रकारों ने 1991में प्रेस की आजादी के लिए एक पहल कि गई थी । इसके बाद प्रेस कि आज़ादी से जुड़ा एक बयान जारी किया गाय था ।इस सम्मेलन की दूसरी जयंती 1993 में यूनेस्को ने हुई। इसके बाद हर साल 3 मई को वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे मनाने का निर्णय लिया गया।
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