दूसरे राज्यों से युवतियों की खरीद फरोख्त के धंधे और कन्या भू्रण हत्याओं के कारण हरियाणा में गड़बड़ाते लिंगानुपात की तरफ देश के लोगों का ध्यान खींचा है। आपको बता दे कि अलग अलग राज्यों के गरीब इलाकों की युवतियों को या तो हसीन सपने दिखाकर या बहला-फुसला कर देह व्यापार के धंधे में धकेल दिया जाता है।
कुछ समय बाद उसे जरूरतमंद परिवारों के घर बहू बनाकर भेज दिया जाता है। इसके लिए लड़के वाले के परिवारों से दलाल अच्छी-खासी रकम हासिल करते हैं। कई बार अत्यधिक गरीबी के कारण बहुत से परिवार वाले अपनी युवतियों को इन दलालों के हाथों में बेच देते हैं।

बेटियों के प्रति उदासीनता का नतीजा अब सामने आ रहा है। हरियाणा से सटे इस इलाके में महिला-पुरुष का अनुपात बिगड़ चुका है। लड़कियों की कमी के चलते युवाओं को दुल्हन मिलनी मुश्किल हो गई।
इसी मजबूरी के चलते शादी कराने वाले गिरोह तैयार हो गए। देश के अन्य प्रदेश की लड़कियों से शादी कराकर ठग मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। ऐसे गिरोह का पूरा नेटवर्क होता है। हरियाणा में लोग अपने घरों में लड़कियों को पैदा होने देने से बेहतर इन लोगों ने दूसरे राज्यों की लड़कियां खरीदकर लाना ज्यादा फायदेमंद समझा।

प्रदेश में हाल-फिलहाल एक लाख 35 हजार लड़कियां (अब ज्यादातर उम्रदराज महिलाएं हो चुकी) ऐसी हैं, जो पश्चिम बंगाल, असम, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से खरीदकर लाई गई। कुछ लड़कियां सीधे खरीदी गई तो कुछ दिल्ली के रास्ते हरियाणा पहुंची। इनसे शादी कर घर बसा लिया जाता था।
इन लड़कियों को उन्हें शुरू में हरियाणवी चौका-चूल्हा समझने में काफी दिक्कत आई, मगर अब उन्होंने रसोई को कुछ इस तरह संभाला कि बाजरे की रोटी और सरसों के साग या चने की दाल के स्थान पर हरियाणवी लोगों की रसोई में अब दही-बड़ा, फिश करी, केले की सब्जी, बड़ा-पाव, इडली, सांभर, दही के कटलेट, नारियल की चटनी और डोसे की डिश भी बनने लगी है।

हालांकि अब इस राज्य की हालात बेहतर हो गए हैं और यहां पर लिंगानुपत सही होता जा रहा है। वहीं इस राज्य में लाई गई बाहरी बहुओं ने खुद को प्रदेश के रहन-सहन, खान-पान, संस्कृति में ढाल लिया है।