फरीदाबाद, बल्लभगढ़ के साथ ही पूरे देश को एक ही झटके में झकझोर के रख देने वाली घटना ने सबके होश उड़ा दिए हैं। दिन दहाड़े एक छात्रा की गोली मार के हत्या कर देने वाले दरिंदे आज भले ही पुलिस की गिरफ्त में हों लेकिन जो हुआ उसको लेकर लोगों का गुस्सा अभी भी सातवे आसमान पर है। जन आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा और लोगों ने दोषियों के लिए सज़ा-ए-मौत जैसे तय कर ली है।

बता दें कि निकिता तोमर बल्लभगढ़ के अग्रवाल कॉलेज के बी.कॉम थर्ड ईयर की छात्रा थी और हादसे के दिन अपना आखरी पेपर दे कर जैसे लहि कॉलेज के गेट से बहार निकली, दो युवकों ने उसके साथ जबरदस्ती कर उसे गाड़ी में डालने की कोशिश की। निकिता इस समय अपनी एक सहेली के साथ थी।निकिता ने इन दरिंदों से निपटने के लिए अपनी पूरी जान झोंक दी पर उसे कहाँ खबर थी कि इसका अंजाम उसे ऐसा मिलेगा कि फिर कभी वो अपने माँ-बाप के पास सलामत नहीं लौट सकेगी।

निकिता को मौत के घात उतारने वाले लड़के तौफीक और रेहान मुसलमान हैं जो हिंदू घर की बेटी निकिता पे पिछले कई दिनों से शादी कर अपना धर्म-परिवर्तन करने का दबाव बना रहे थे। राजनैतिक रसूख की आड़ में अपने ओछे मंसूबे को अंजाम देने वाले दरिंदों के लिए आज पूरा फरीदाबाद एक ही सुर में फांसी की मांग कर रहा है। इतना ही नहीं, इस घटना ने जिस तरीके से लोगों को झकझोर कर रख दिया है, आज माँ-बाप अपनी जवान बेटियों को कॉलेज भेजने से दर रहे हैं।

फरीदाबाद में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों का ग्राफ तेज़ी से बढ़ता ही जा रहा है जिसपर अंकुश लगाना सरकार के लिए बहुत ही एहम हो गया है। निकिता की माँ का कहना है कि जैसे आज उनकी बेटी की बलि चढ़ी है, वैसे ही किसी की भी बेटी ऐसे समाज में सुरक्षित नहीं रह सकती जिसमें कानूनी व्यवस्था कड़ी न हो। यदि यही हाल रहा तो सरकार का ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ सिर्फ एक नारा बन कर ही रह जाएगा और कोई भी इस पर अमल नहीं करेगा।

स्कूलों और कॉलेजों के बहार सूकरक्षा व्यवस्था देखने के लिए रियलिटी चेक किया गया। इस दौरान नेहरू कॉलेज, महिला महाविद्यालय, KL मेहता दयानन्द कॉलेज और अन्य कॉलेजों के बहार कहीं भी पुलिस नजर नहीं आयी। ऐसे में पुलिस प्रशासन और सरकार, दोनों ही कठघरे में कड़ी नज़र आती हैं। अगर यही हाल रहता है तो कोई भी माता-पिता अपनी बेटियों को ऐसे पढ़ने के लिए भी नहीं भेज सकते।