पिछले कुछ वर्षों से शुरू हुआ प्रदूषण का मौसम फिरसे जिले में आ बैठा है। फरीदाबाद की हवा हर दिन ख़राब होती जा रही है। दीपावली भी सामने ही खड़ी है ओर दीपावली में पटाखे जलाने से प्रदूषण अधिक बढ़ जाता है। वैसे हम सभी को पता है कि दीपावली रोशनी का पर्व है। पटाखे जलाने का नहीं है। लेकिन फिर भी कुछ लोगों को अभी तक यह समझ नहीं आया है।
पटाखों से नुकसान ही नुकसान हैं, फायदा कुछ नहीं है। हवा लगातार खराब हो रही है। हम सभी को एक युद्ध पटाखों के विरुद्ध लड़ना ही होगा। हर साल दीपावली के बाद वायु प्रदूषण में बहुत अधिक इजाफा होता है।

बच्चे भी इस बार दीपावली पर पटाखे नहीं जलाने का संकल्प ले रहे हैं। इतना ही नहीं बच्चे स्लोगन भी बना रहे हैं। बच्चें अपने पेरेंट्स से भी यही मांग कर रहे हैं। पटाखे हवा तो ख़राब करते ही हैं साथ ही ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ाते हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रति हम सभी की जिम्मेदारी है। इस समय दिल्ली से सटे विभिन्न राज्यों में पराली की जलती लपटों चरम पर हैं, जिसने फरीदाबाद में प्रदूषण के स्तर को बढ़ा दिया।

बढ़ते प्रदूषण के कारण लोग गंभीर बिमारियों का शिकार भी हो रहे हैं। इस दिवाली पर न तो हमें खुद पटाखे जलाने चाहिएं और अन्य लोगों को भी प्रेरित करना चाहिए। पटाखों में सोडियम, जिक, नाइट्रेट, सल्फर, कार्बन जैसे तत्व होते हैं। पटाखे जलाने पर यह तत्व वातावरण में घुल जाते हैं और प्रदूषण बढ़ता है।

महामारी के इस दौर में हमें सतर्कता दिखानी चाहिए प्रदूषण का स्तर भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इस समय बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। दीपावली पर बिल्कुल भी पटाखे न जलाएं। घर को दीपकों से सजाएं।