नगर निगम सदन की बैठक काफी चर्चा में है। उसका एक मुख्य कारण यह है कि पूरे आठ माह बाद इस बैठक का आयोजन करवाया गया था। यह बैठक तकरीबन आठ घंटे तक चली जिसमे महापौर, निगमायुक्त, डिप्टी मेयर के साथ साथ पार्षद भी मौजूद रहे। इस दौरान बैठक में शहर के विकास से जुड़े मुद्दों पर बात की गई।
चाहे वह मुद्दा पानी का हो, स्ट्रीट लाइट का हो या फिर साफ़ सफाई का हर पहलु पर बात की गई। सभी पार्षदों ने अपने अपने क्षेत्र से जुडी परेशानियों का ब्यौरा निगमायुक्त के आगे रखा। मुद्दों की फेहरिस्त में सबसे बड़ा मसला था निगम के लेखा शाखा विभाग में लगी आग। आपको बता दें कि नगर निगम कार्यालय के लेखा शाखा विभाग में कुछ माह पूर्व भयंकर आग लगी थी।

इस दौरान विभाग कार्यालय में पड़े तमाम दस्तावेज़ जलकर राख हो गए। पार्षद दीपक चौधरी और महेंद्र प्रताप द्वारा पिछले दिनों रिकॉर्ड रूम में लगी आग का मुद्दा उठाया गया था। उनका कहना है कि यह आग जानबूझकर लगवाई गई है जिससे 200 करोड़ के घोटाले के बारे में ज्यादा जानकारी न हासिल की जा सके।

पार्षदों द्वारा यह मांग राखी गई कि इस पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए इसकी जानकारी सदन में राखी जाए। इस पूरे मामले पर मुख्य अभ्यंता विजय ढाका ने बताया कि इस पूरे मामले को लेकर कमेटी द्वारा जांच कर ली गई है। पूरे मामले में ठेकेदार के खिलाफ भ्रष्टाचार साफ़ तौर से नजर आ रहा है। आग मामले के संदर्भ में 17 नवंबर तक निगमायुक्त को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।

निगमायुक्त ने पार्षदों को आश्वस्त किया है कि ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाही की जाएगी। निगम सदन की बैठक में मौजूद एनआईटी से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने भी इस पूरे मामले को लेकर अपना सुझाव पेश किया। उन्होंने कहा कि पार्षद के क्षेत्र में एक बोर्ड लगवाकर उसपर विकास कार्य की लागत से लेकर सम्बंधित अधिकारी का नंबर अंकित करना चाहिए।

इस तरीके से सड़क, पानी, और बिजली से जुड़ी समस्या के लिए हर किसी की जिम्मेदारी तय हो जाए। आपको बात दें कि बीते दिनों नगर निगम काफी सुर्ख़ियों में रहा है। चाहे निगम कार्यालय में लगी आग हो या फिर 26 गाँव को निगम में समाहित किये जाने का फैसला। हर मुद्दे ने जोर पकड़ रखा है जिसके जवाब में अभी तक नगर निगम प्रणाली की ओर से कोई सशक्त बयान सामने नहीं आया है।