पूरे देश में लगे लॉकडाउन के बाद से सबसे ज्यादा हालत जिसकी खराब हुई है वो है मजदूरों की। गरीबी की मार झेल रहे मजदूरों कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। जहां कई मजदूरों को पलायन करना पड़ा था वही कुछ मजदूरों को उनके मालिकों ने शर्तों के साथ टारगेट पूर्ण करने के बाद ही घर लौटने का प्रस्ताव रखा।
इन्हीं मजदूरों में 9 साल बच्ची मानसी भी शामिल थी जो अपने पिता के साथ लॉकडाउन के समय वहां फंस गई थी। वह भी लॉकडाउन के बाद घर वापस जाना चाहती थी, लेकिन उसके मालिक ने बाकी मज़दूरों के साथ उसे भी जाने नहीं दिया।

उसने शर्त रखी और कहा कि अपना टारगेट पूरा करने पर ही वह अपने घर वापस लौट सकती है। इस बात का मज़दूरों ने 18 मई को विरोध किया, तो मालिक ने आधी रात में उनपर जानलेवा हमला करवा दिया जिसके बाद इस घटना में कई मज़दूर गंभीर रूप से घायल हो गए।
इसके बाद बच्ची मानसी ने वो कर दिखाया जो शायद किसी के बस की बात नहीं है। जी हां तमिलनाडु के ईंट-भट्टों में काम करने वाले मज़दूरों के लिए किसी उम्मीद की किरण की तरह बनकर आई 9 वर्षीय मानसी बरिहा। ऐसा इसीलिए कह रहे है क्योंकि इस जंजाल से सभी मजदूरों को इस बच्ची ने ही बचाया है।

आपको बता दे कि बलांगीर जिले के ईंट के भट्टे में फंसे मजदूरों में से एक थी मानसी वह अपने पिता के साथ यहां फंसी थी। हर दिन 10 से 12 घंटे के दैनिक श्रम के लिए 250 रुपये की औसत मज़दूरी मिलती थी। मानसी ने कहा मैं अपने गांव में अपने कुछ रिश्तेदारों से मदद मांगी। मेरे एक परिचित ने एक संगठन से संपर्क किया, जिसने तुरंत तिरुवल्लूर ज़िला प्रशासन के साथ इस मुद्दे को उठाया और हमारी रिहाई के लिए काम किया।
मानसी ने कहा, स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची, हमें बचाया और घायल व्यक्तियों को अस्पतालों ले गई। हालांकि पुलिस ने एक गुंडे को गिरफ्तार कर लिया। वहीं एक सप्ताह के भीतर, स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने तिरुवल्लूर के 30 ईंट भट्ठों में कैद रखे गए 6,750 मजदूरों को बचाया। इस घटना के बाद बच्ची मानसी की हर जगह चर्चा हो रही है उसके इस महान काम की तारीफ भी हो रही है।