नहीं हो रही बिक्री खाली पड़ा है गल्ला, अब बच्चों वाले पटाखे बेच कर अपना काम चला रहे हैं दुकानदार

क्षेत्र में दिवाली को लेकर हर कोई उत्साहित है। महामारी के दौर में भी त्योहारों के प्रति उत्साह देखते बनता है। पर बीमारी के चलते बहुत सारे व्यवसाय कर्मियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दिवाली के समय पर सबसे ज्यादा नुकसान पटाके बेचने वाले व्यवसाय कारियों को हुआ है।

हाल फिलहाल बढ़ते हुए प्रदूषण के मापदंड को मद्देनजर रखते हुए सरकार के हवाले से पटाखों की रोकथाम के आदेश निकाले गए हैं। प्रशासन द्वारा यह साफ किया जा चुका है कि कोई भी व्यक्ति पटाकों का उत्पादन करता पाया गया उसके खोलाफ़ कार्रवाई की जाएगी।

नहीं हो रही बिक्री खाली पड़ा है गल्ला, अब बच्चों वाले पटाखे बेच कर अपना काम चला रहे हैं दुकानदारनहीं हो रही बिक्री खाली पड़ा है गल्ला, अब बच्चों वाले पटाखे बेच कर अपना काम चला रहे हैं दुकानदार

खट्टर सरकार द्वारा यह फरमान हाल फिलहाल ही जारी किया गया है। बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार सख्त कदम उठा रही है। ऐसे में पटाके के व्यवसाय से जुड़े दुकानदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

फरीदाबाद क्षेत्र में जो पटाखे बेचने वाले गत वर्ष तक बड़े बड़े पटाके बेचा करते थे उन्हें इस साल काफी निराशा झेलनी पड़ रही है। आपको बता दें कि बहुत सारे दुकानदार अब बच्चों के पटाखे और खिलौने बेच कर अपना गुजारा कर रहे हैं। सेक्टर 16 में इन छोटे व्यवसाय कर्मियों द्वारा इन पटाकों एवं खिलौनों के स्टाल लगाए गए हैं।

दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक भी पटाके खरीदने से बच रहे हैं। बड़े पटाखों की बिक्री से उन्हें ज्यादा मुनाफा होता था, पर सरकार के फैसले ने उन्हें बच्चों के पटाखे बेचने को मजबूर कर दिया है। इन छोटे पटाकों की बिक्री से उन्हें खास मुनाफा नही होगा और लोग भी बच्चों वाले पटाके खरीदने से बचते हैं। दुकानों में कोई ग्राहक आकर राजी नही है, सुबह से गल्ला खाली पड़ा है।

एक दुकानदार से बात करने पर पता चला की 10 घंटे में उन्होंने महज़ 70 रुपये की कमाई की है। प्रशासन ने प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए फैसला ले लिया है परंतु उनके इस फैसले ने कई लोगों का दिवाला निकाल दिया है।

महामारी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन द्वारा त्योहारों के समय पर आला कदम उठाए जाने की बात कही जा रही है। आपको बता दें कि दिवाली से पहले ही फरीदाबाद में प्रदूषण का स्तर काफी बड़ा हुआ है। ऐसे में प्रशासन प्रदूषण के बढ़ते दर को देखकर काफी चिंतित है इसलिए यह कदम उठाया जा रहा है।

Avinash Kumar Singh

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