महामारी के 8 महीने बाद भी एक्सपोर्ट हाउसेस का काम बिल्कुल ठप पड़ा है। औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में छोटे-बड़े करीब 32000 उद्योग हैं इनमें 100 से अधिक एक्सपोर्ट हाउसेस है जिन पर अभी भी ताले लटके हुए हैं। वैश्विक महामारी ने अभी भी कारोबार को ऐसे जकड़ा हुआ है कि अनलॉक के इतने समय बाद भी कुछ बिज़्नेसेस की हालत बुरी हुई पड़ी है।
त्योहारों के सीजन में ऑटो इंडस्ट्री में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है लेकिन एक्सपोर्ट कंपनियों की स्थिति अभी भी खराब ही है। महामारी से बचने के लिए जो गाइडलाइन्स सरकार द्वारा जारी किये गए थे, उनमे से सामाजिक दूरी बनाये रखना सबसे महत्वपूर्ण है और शायद यही कारण है कि लोग आवाजाही के लिए अब 2 पहिया वाहन के इस्तेमाल से परहेज करते दिखाई दे रहे हैं। जिसकी वजह से ऑटो इंडस्ट्री में सुधार हुआ है।
इसकी वजह मार्केट में कम डिमांड इसीलिए कम सप्लाई सिचुएशन मानी जा रही है। महामारी का असर व्यवसाय पर देखने को मिला ही है जिसके परिणाम स्वरूप आर्थिक मंदी की मार भी लोगों को झेलनी पड़ी है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव एक्सपोर्ट कंपनियों पर पड़ा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय उड़ाने बंद होने से व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया।
अंबुजा ग्रुप के सीईओ अक्षय करण का कहना है कि ऑटो इंडस्ट्री में उछाल की वजह है कि लोग करो ना संक्रमण से डरे हुए है इसलिए सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए चार पहिया वाहन खरीद रहे हैं। वहीं दूसरी और शिवालिक प्रिंट्स के चेयरमैन नरेंद्र अग्रवाल का कहना है की मांग बढ़ेगी तभी उत्पादन बढ़ा पाएंगे और इसी से एक्सपोर्ट हाउसेस किस स्थिति में सुधार आएगा। फिलहाल कंपनी ने वर्कर की संख्या कम कर दी है और केवल जरूरत के हिसाब से ही लोगों को बुलाया जा रहा है और वेतन भी कम दिया जा रहा है।
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